विक्टर देबबर्मा को सस्य विज्ञान में पीएच.डी. पीएचडी की उपाधि

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Victor Debbarma holds a Ph.D. in agronomy. PhD degree

अवधनामा संवाददाता

प्रयागराज (Praygraj)। डॉ. विक्टर देबबर्मा ने सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स), प्रयागराज से डॉ विक्रम सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, कृषि विज्ञान विभाग की देखरेख में सफलतापूर्वक पीएच.डी की। सस्य विज्ञान में शोध को पूरा करने पर उन्हें पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई।
फाईनल वाइवा में बाहरी परीक्षक के रूप में प्रो. (डॉ.) गुरुशरण पंवार, डीन, कृषि महाविद्यालय, बांदा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं प्रो0 (डॉ.) रानू प्रसाद, डीन, इथिलिण्ड कॉलेज आफ होम साइंस, शुआट्स बतौर चेयरपर्सन उपस्थित रहीं।
विक्टर देबबर्मा का शोध शीर्षक ‘जैविक उत्पादन प्रणाली के तहत अनाज की वृद्धि और उपज पर फसल गहनता प्रणाली का अध्ययन’ था। अपने शोध में उन्होंने अनाज के दो साल के अध्ययन के परिणाम को प्राप्त किया जिसमें गेहूं, जौ, चावल और फिंगर बाजरा यह दर्शाता है कि फसल गहनता प्रणाली (एससीआई), चावल गहनता प्रणाली (एसआरआई) विधि के सिद्धांतों और प्रथाओं के साथ है। बाजरे के लिए कुक्कुट खाद और गेहूं, जौ और चावल के लिए खेत की खाद का प्रयोग उच्च अनाज उपज प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा पाया गया। कुक्कुट खाद पोषक तत्वों के अन्य जैविक स्रोतों के उपयोग की तुलना में फसल अनाज के लिए उच्च लाभ लागत अनुपात प्राप्त करने के लिए सबसे उपयोगी है। एससीआई श्रम की मांग और काम के उपयोग को कम कर सकता है, और सीमांत किसानों के साथ-साथ छोटे और बड़े किसानों के लिए उपयुक्त है।
श्री विक्टर को अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप 16 के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग छात्रवृत्ति के लिए पुरस्कार भी मिला है और 2019 में ‘जैविक कृषि में युवा शोधकर्ता’ के लिए सम्मानित भी किया गया है।

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