पश्चिम एशिया पर कोविड के प्रभाव पर वेबिनार

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Webinar on Kovid's impact on West Asia

अरशद अहमद (अवधनामा संवाददाता)

अलीगढ़। (Aligarh) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पश्चिम एशियाई और उत्तरी अफ्रीकी अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित एक वेबिनार में पूर्व राजनयिक के पी फैबियन ने कहा कि ‘प्रेषण और ऊर्जा आयात पर हाल के वैश्विक स्वास्थ्य संकट का प्रभाव इतना बड़ा हो गया है कि इसने कई देशों में जनसांख्यिकीय स्थानों को बदल दिया है और भारत सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक है, जहां बड़े पैमाने पर श्रम प्रवास हुआ।

फैबियन ने ‘पश्चिम एशियाई अर्थव्यवस्था पर प्रभावः भारत के लिए निहितार्थ’ विषय पर बोलते हुए कहा कि अगर विश्व शक्तियों ने जिम्मेदारी से काम किया होता तो महामारी को अधिक फैलने से रोका जा सकता था। उन्होंने संकट से अच्छी तरह से निबटने और बिना किसी भेदभाव के सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीसीसी की प्रशंसा की। उन्होंने अभूतपूर्व संकट के व्यापक प्रभाव पर भी चर्चा की जिसने समग्र मांग और आपूर्ति समीकरणों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में अमुवि प्रोफेसर तारिक मंसूर ने पश्चिम एशिया में नए रणनीतिक गठबंधनों और भारतीय विदेश नीति पर उनके प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेबिनार का विषय काफी प्रासंगिक है क्योंकि हम में से अधिकांश किसी न किसी तरह से इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

अतिथि वक्ता प्रोफेसर गुलशन डायटेल ने कोविड-19 महामारी के साथ जुड़े हुए गंभीर वैश्विक परिदृश्य का विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि विश्व व्यापार को वापस पुराने ढर्रे पर लाना संभव नहीं रहा है और विभिन्न देशों को नये विकल्प ढूंढने होंगे। उन्होंने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों और कोविड-19 संकट के दौरान ईरान पर इसके नकारात्मक प्रभाव पर भी चर्चा की।

एक अन्य अतिथि वक्ता प्रोफेसर गिरिजेश पंत ने कहा कि कोविड-19 संकट का पश्चिम एशिया में विविध क्षेत्रों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और इससे राज्य-समाज संबंध भी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि तेल बाजार का चरित्र एक संरचनात्मक तरीके से बदल रहा है और इस क्षेत्र में हिस्सेदारी रखने वाले देशों को तेल और कोविड-19 के बीच इंटरफेस और वैश्विक स्तर पर मांग के कारकों को ध्यान में रखते हुए अपनी तेल नीतियों का विश्लेषण करना होगा।

इससे पहले प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज (डीन, फैकल्टी आफ इंटरनेशनल स्टडीज) ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वर्ष 2020-21 सबसे अधिक दुखद वर्ष रहा है जिसने मानव जीवन को बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने पश्चिम एशिया में प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला और इस तथ्य को रेखांकित किया कि पश्चिम एशिया में किसी भी घटना का भारत पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जावेद इकबाल ने स्वागत भाषण दिया और वेबिनार के एजेंडे पर प्रकाश डाला।

वेबिनार में शामिल अन्य प्रख्यात पैनलिस्टों में प्रोफेसर मोहम्मद अजहर, डा० तारिक मसूद (पश्चिम एशियाई और उत्तरी अफ्रीकी अध्ययन विभाग, एएमयू), प्रोफेसर मोहम्मद तारिक (अर्थशास्त्र विभाग, एएमयू) और डा० वृष घोले (स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू) शामिल हैं।

डा० सना समरीन वेबिनार की समन्वयक थीं तथा उन्होंने कार्यक्रम का संचालन किया। जबकि प्रोफेसर मोहम्मद अजहर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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