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अगर आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार परेशान है और जीवन से निराश है तो आप उसकी मदद कर सकते हैं। इसके लिए उसे सिर्फ संवेदना की जरूरत है। जी हां, हाल ही में एक रिसर्च में ये बात सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक, आप ऐसे व्यक्ति के जीवन में दखल देने से हिचकिचाएं नहीं जो अपने जीवन से एकदम निराश हो चुका है। आपका सिर्फ उस व्यक्ति को हमदर्दी के साथ सुनना उसके जीवन को बचा सकता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, देश में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग सुसाइड करते हैं।
जार्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया, नई दिल्ली के उप निदेशक पल्लब मौलिक ने कहा कि व्यक्ति के साथ घुलना-मिलना या उसे समझना महत्वपूर्ण है न कि उसके प्रति सहानुभूति जताना। उदास लोगों को सिर्फ सुनने की जरूरत है। जॉर्ज इंस्टीट्यूट हेल्थ हैबिट्स और पॉलिसी में बदलाव पर शोध करता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज (जीबीडी) के आंकड़ों के मुताबिक, मेंटल हेल्थ/सुसाइड किशोरों में मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण है।
डिप्रेशन और सुसाइड का कारण
डिप्रेशन के कारण सुसाइड करने वाले किशोरों की संख्या अपने देश में भयावह दर से बढ़ रही है। युवाओं में डिप्रेशन के मुख्य कारणों में पढ़ाई का दवाब, निजी रिश्ते टूटना, काम का दवाब, आपसी हिंसा और अंतरंग साथी द्वारा की गई हिंसा प्रमुख है। अल्कोहल और नशीली दवाओं का दुरुपयोग कुछ अन्य कारक हैं, जो मेंटल हेल्थ को प्रभावित करते हैं।” इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन (आईएएसपी) के मुताबिक, दूसरों से सहानुभूति ने कमजोर व्यक्तियों के लिए चीजों को बदलने में मदद की। मौलिक का कहना है कि आत्महत्याओं को सामुदायिक और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए विभिन्न उपायों के द्वारा रोका जा सकता है।
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