बॉयों मेडिकल वेस्ट, बीज, ब्लडबैग, अस्पताल की चादरों का होगा माइक्रोवेव ट्रीटमेन्ट

0
203

BRIJENDRA BAHADUR MAURYA
भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने मिलाया एसएस मेडिकल सिस्टम से हाथ
बॉयों मेडिकल वेस्ट, बीज, ब्लडबैग, अस्पताल की चादरों का होगा माइक्रोवेव ट्रीटमेन्ट

लखनऊ । राजधानी में शुक्रवार को भारतीय विष विज्ञान संस्थान और नैनीताल की प्राइवेट कम्पनी एसएस मेडिकल सिस्टम ने अनुसंधान के लिये अनुबन्ध हस्ताक्षरित किये । विष विज्ञान की तरफ से आलोक धवन और एसएस मेडिकल की तरफ से मुनीश भण्डारी ने एएमयू पर साइन किये । धवन ने बताया कि अस्पताल के बॉयों मेडिकल कचरे का निस्तारण करने के लिये जर्मनी से मशीन मंगवायी जाती थी और ये सफाई प्रोसेस काफ़ी महंगा भी पड़ता था । अब देश में ही विकसित एसएस मेडिकल सिस्टम का माइक्रोवेव अॉप्टीमेसर के नाम से उपलब्ध है जिसे लखनऊ स्थित संस्थान में अनुबन्ध के तहत रखा गया है जिस पर हम लोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करेंगे । आलोक ने कहा कि इससें न केवल अस्पताल के कचरे का निस्तारण करने का अनुसंधान किया जायेगा बल्की निर्यात होने वाले बीज, ब्लडबैग, अस्पताल की गंदी चादरें इत्यादि की साफ-सफाई और मल – मूत्र को साफ कर निस्तारण करने पर भी प्रयोग किये जायेंगे । उन्होनें कहा कि ये पहली बार है कि विष विज्ञान संस्थान ने किसी प्राइवेट कम्पनी से अनुसंधान के लिये समझौता किया है । ये माइक्रोवेव सौर ऊर्जा से चलता है और मोबाइल भी है जिससे इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है । अॉप्टीमेसर से नॉरकोटिक्स उत्पादों को भी मौके पर नष्ट किया जा सकेगा और इस मशीन से कोई वेस्ट भी नहीं निकलता है ।
एसएस मेडिकल सिस्टम के निदेशक मुनीश भण्डारी ने कम्पनी की स्थापना सन् 1941 में लखनऊ में ही होने की बात बतातें हुए कहा कि ये अनुबन्ध मील का पत्थर साबित होगा जो अस्पताल के कचरे को साफ करने के साथ साथ मेक इन इण्डिया, स्वच्छ भारत अभियान, डिजीटल इण्डिया अभियान को आगे बढ़ाने का काम करेगा। माइक्रोवेव अॉप्टीमेसर मशीन की बात बतातें हुए कहा कि इस सिस्टम में विद्युत चुम्बकीय तरंगों द्वारा ट्रीटमेन्ट किया जाता है जो वेस्ट के आन्तरिक आणविक हीटींग को उत्तेजित कर कीटाणूशोधन करता है । भण्डारी ने कहा कि पूरे देश में हमारी कम्पनी की मशीनें कार्य कर रही है और असम में हम चाय की पत्ती को फंगसफ्री कर रहे है । अॉप्टीमेसर मशीन के खर्च पर बोलतें हुए कहा कि ये दुनिया के अन्य उत्पादों से सस्ते में कचरा निस्तारण करती है और इससें केवल 84 पैसे प्रतिकिलो की दर से मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेन्ट किया जा सकता है। आलोक धवन और मुनीश भण्डारी ने समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि हम दोनों का गठबंधन अनुसंधान को आगे बढ़ाने के साथ साथ व्यावसायिक गतिविधियों को भी तेज करेगा।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here