बरेली। एक मरीज की मौत ने पूरे वाल्मीकि समाज में उबाल ला दिया है। थाना भमौरा क्षेत्र के ग्राम खुला ताहरपुर निवासी रजनीश उर्फ विजय कुमार वाल्मीकि ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर एम्बुलेंस चालक और निजी अस्पताल प्रबंधन पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। मामला 28 नवंबर का बताया जा रहा है, जब उनके भाई टीटू वाल्मीकि की अचानक तबीयत बिगड़ गई।
परिजनों के मुताबिक टीटू को पहले राममूर्ति अस्पताल ले जाया गया, जहां से हायर सेंटर रेफर किया गया। यहीं से कहानी ने खतरनाक मोड़ लिया। आरोप है कि एम्बुलेंस चालक इरफान ने 1000 रुपये में केयर अस्पताल ले जाने की बात तय की, लेकिन रास्ते में मरीज को जबरन सनराइज हॉस्पिटल ले जाया गया। परिजनों का कहना है कि वहां बिना विशेषज्ञ डॉक्टर के आईसीयू में भर्ती कर गलत इलाज किया गया, जिसके चलते टीटू की मौत हो गई।
मौत के बाद हालात और बिगड़ गए। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से मारपीट, धमकी और कागजात छीनने जैसी हरकतें कीं। साथ आए लोगों के साथ हाथापाई हुई और जातिसूचक गालियां भी दी गईं। पीड़ित परिवार का दावा है कि एम्बुलेंस चालक और अस्पताल के बीच कमीशन का खेल चल रहा है, जबकि पुलिस की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं।
परिजनों ने साक्ष्य नष्ट होने की आशंका जताते हुए एम्बुलेंस चालक इरफान, अस्पताल मैनेजर सोहेल खान, सलीम और संबंधित डॉक्टरों पर एससी/एसटी एक्ट और बीएनएस की धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। शिकायत के दौरान समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला सचिव अरविन्द आनन्द वाल्मीकि, भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के नीरज वाल्मीकि, मिथुन वाल्मीकि, सोनू लाल, सुमित सिंह, सोनू वाल्मीकि, संजय वाल्मीकि, अमित वाल्मीकि समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
अब सवाल साफ है—क्या यह महज लापरवाही थी या मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ का संगठित खेल? पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है, और शहर की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।





