बौद्ध संस्कृति के पुनरुत्थान और महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन में अनागरिक धम्मपाल का महान योगदान
बुधवार को सामाजिक क्रांति के महान योद्धा पेरियार ई वी रामास्वामी नायकर और भारत में बौद्ध धम्म, बौद्ध संस्कृति के पुनरूत्थान में महान योगदान करने वाले देव मित्त अनागरिक धम्मपाल की जयंती पर नगर स्थित बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा के पास श्रद्धासुमन कार्यक्रम और विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सामूहिक त्रिसरण पंचशील और बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा और पेरियार रामास्वामी नायकर और अनागरिक धम्मपाल के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ हुआ। बौद्धाचार्य वैरागी राम भारती ने सामूहिक त्रिसरण पंचशील कराया।
सिरमौर बौद्ध विहार सोइया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बामसेफ के जिला संयोजक संजीव भारती ने पेरियार रामा स्वामी नायकर और अनागरिक धम्मपाल के जीवन दर्शन के बारे में जानकारी देते हुए भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि पेरियार रामा स्वामी नायकर महान समाज सुधारक थे। असमानता,अन्याय, जातिवाद अंधविश्वास और रूढ़िवादी व्यवस्था के विरुद्ध उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया।
असमानता, ऊंच-नीच और जाति व्यवस्था के विरुद्ध उन्होंने आत्मसम्मान का आंदोलन चलाया।वे नास्तिक थे और हमेशा उन्होंने तर्क और विवेक को अपनाने पर जोर दिया।सच्ची रामायण उनकी सबसे विवादास्पद और चर्चित पुस्तक है।देव मित्त अनागरिक धम्मपाल मूलतः श्री लंका के निवासी थे।
अपने चालीस वर्ष के जीवन में उन्होंने विश्व के कई देशों में बौद्ध धम्म का प्रचार प्रसार किया। 1891में उन्होंने महाबोधि सोसायटी की स्थापना की और कलकत्ता हाईकोर्ट में केस दायर करके महाबोधि विहार बोधगया और तीन अन्य प्रसिद्ध बौद्ध धम्म स्थलों को बौद्धों के स्वामित्व में देने और हस्तांतरित करने की मांग की।
अम्बेडकर सेवा समिति के कोषाध्यक्ष राजेश अकेला ने कहा कि पेरियार रामास्वामी नायकर एक महान समाज सुधारक और राजनीतिक कार्यकर्ता थे। दक्षिण भारत में उन्होंने छुआछूत, जातिभेद, असमानता , अंधविश्वास, ब्राह्मण वाद के विरुद्ध जो आंदोलन शुरू किया, उसकी गूंज पूरे भारत में रही।
वरिष्ठ शिक्षक और बामसेफ के पूर्व विधानसभा संयोजक राम चन्द्र ने बताया कि भारत में बौद्ध संस्कृति के विकास में पेरियार रामास्वामी नायकर और अनागरिक धम्मपाल दोनों महापुरुषों का महान योगदान है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में अवकाश प्राप्त शिक्षक पलटूराम ने कहा कि पेरियार रामास्वामी नायकर और अनागरिक धम्मपाल दोनों महापुरुष मानवतावाद के प्रवर्तक रहे हैं। दोनों महापुरुषों ने बाबा साहब डॉ अम्बेडकर के विचारों और बौद्ध धम्म की शिक्षाओं के अनुरूप सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में महान योगदान किया है। पेरियार रामास्वामी नायकर ने असमानता और अन्याय का जीवन भर विरोध किया और इसके विरोध में निर्णायक आंदोलन चलाया। तर्क और विवेक को महत्व दिया।
विचार गोष्ठी का संचालन ललित कुमार ने किया। राकेश प्रताप मौर्य, त्रिभुवन दत्त, दयाराम, ज्योति वर्मा, बाबू राम,राजा घोसी,देवतादीन उर्फ गांधी, बुद्धि राम , सत्यम् कोरी एडवोकेट, इश्तियाक अहमद आदि मौजूद रहे।
राजेश अकेला ने संघ को फलदान किया। कार्यक्रम में लोगों से लखनऊ में चल रहे पालि पखवाड़ा महोत्सव में शामिल होने की अपील की गई।