कानपुर के गुमटी बाजार में 30 साल से बंद जयहिंद टॉकीज में रविवार को आग लग गई। दमकल कर्मियों ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। दुकानदारों ने आरोप लगाया कि दुकानें खाली कराने के लिए जानबूझकर आग लगाई गई। टॉकीज 1946 में बनी थी और 30 साल पहले बंद हो गई थी।
आजादी से पहले बनी और करीब 30 साल से बंद पड़ी गुमटी स्थित जयहिंद टॉकीज में रविवार शाम अचानक आग लग गई। घटना से बाजार में अफरातफरी मच गई और दुकानदार अपना सामान निकालने में जुट गए।
आसपास के लोगों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी तो कर्नलगंज और फजलगंज फायर स्टेशन से दमकल की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंची और विद्युत आपूर्ति बंद कराकर आग बुझाना शुरू किया।
दो तरफ से पानी की बौछार कर करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। इस दौरान आसपास के दुकानदारों की सांसे अटकी रही कि आग कहीं उनके प्रतिष्ठान तक न पहुंच जाए।
वहीं, जयहिंद टॉकीज के बाहर के दुकानदारों ने आरोप लगाया कि उनसे दुकानें खाली कराने के लिये जानबूझकर आग लगाई गई है।
रविवार शाम करीब साढ़े तीन बजे 30 साल से बंद पड़ी जयहिंद टॉकीज से आग की लपटें और धुआं उठने लगा। इसे देखकर बाजार में अफरातफरी मच गई और दुकानदार अपना सामान निकालने में जुट गये।
घनी आबादी वाले गुमटी बाजार में आग की सूचना मिलते ही फजलगंज अग्निशमन अधिकारी परमानंद पांडेय, कर्नलगंज अग्निशमन अधिकारी प्रदीप कुमार शर्मा चार गाड़ियों के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान जवानों ने टॉकीज के हाल और दूसरी ओर से दो तरह से पानी की बौछ़ार की।
करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया। आसपास के दुकानदारों ने बताया कि टॉकीज में सुंदर फर्नीचर वालों का फर्नीचर रखा था।
चार दशक से दुकान चलाने वाले चूड़ी दुकानदार मो.नौशाद, रंगाई कारीगर मो.इमरान, रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाले सोनिया और पान की दुकान चलाने वाले अनिल त्रिपाठी ने दुकानें खाली कराने के लिये आग लगाने का आरोप लगाया।
उनका कहना है कि टॉकीज में अंदर काम हो रहा था, मजदूरों ने वहां पर कबाड़ में आग लगा दी। दुकानदारों का कहना है कि पहले यह टॉकीज आशुतोष रस्तोगी थी, जिसे उन्होंने रितेश को बेच दिया है, इसलिये ज्यादातर दुकानदार अब किराया भी नहीं दे रहे हैं।
आग बुझाने के लिये जवानों ने पास के ही होटल से पानी भी लिया। हालांकि फायर ब्रिगेड के जवानों की कड़ी मशक्कत से समय रहते आग पर काबू पा लिया गया वरना आग बगल की दुकानों तक पहुंच सकती थी।
“घनी आबादी वाले इलाके में स्थित बाजार में सालों से बंद पड़ी टॉकीज के अंदर रखे फर्नीचर और कबाड़ में आग लगने की बात सामने आई है। जवानों की सतर्कता से समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।
वर्ष 1946 में बनी थी जयहिंद टॉकीज
गुमटी स्थित जयहिंद टॉकीज की स्थापना वर्ष 1946 में आजादी से पहले हुई थी। उस समय कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे लाइन ब्रॉडगेज के बजाय मीटर गेज हुआ करता था। क्षेत्रीय दुकानदार अनुराग बलूजा ने बताया कि यह टॉकीज करीब 30 साल पहले बंद हो गई थी। इस टॉकीज के बाहर दोनों ओर करीब 18 दुकानें हैं।