हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद में सरीला तहसील के चिकासी थाना क्षेत्र अंतर्गत चंदवारी घुरौली में खंड संख्या 26/8 में अवैध खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। जिला प्रशासन के तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद खनन माफिया बेरोकटोक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों की धज्जियां उड़ा रहि है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक नाकामी को उजागर करती है, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और कानून का राज स्थापित करने के दावों पर भी सवाल खड़े करती है।
खनन माफिया का बुलंद हौसला, सरकार को करोड़ों का नुकसान
चंदवारी घुरौली में हो रहे अवैध खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है और सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लग रही है। भारी मशीनों और पोकलेन के जरिए रात-दिन खनन कार्य जारी है, जिसमें एनजीटी के दिशा-निर्देशों—जैसे खनन क्षेत्र का सीमांकन, वाहन ट्रैकिंग सिस्टम, और पर्यावरण संरक्षण नियमों—का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। सवाल यह है कि आखिर क्यों प्रशासन इस माफिया पर नकेल कसने में असफल हो रहा है?
एनजीटी के नियम और उनकी अनदेखी
एनजीटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, नदियों और जलस्रोतों में खनन की गहराई को सख्ती से नियंत्रित किया गया है। सामान्यतः नदी तल से 3 मीटर की गहराई तक ही खनन की अनुमति दी जाती है, और वह भी केवल मैनुअल तरीके से या निर्धारित मशीनों के साथ, ताकि पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान हो। इसके अलावा, खनन क्षेत्र का जियो-टैगिंग, जीपीएस आधारित वाहन निगरानी, और रात में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध जैसे नियम लागू हैं। हालांकि, चंदवारी घुरौली में इन नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नदी तल से कई मीटर गहराई तक मशीनों से खनन किया जा रहा है, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह और पर्यावरणीय संतुलन खतरे में है।
प्रशासन की चुप्पी, जनता में आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध खनन के कारण नदियों और जलस्रोतों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, जिससे भविष्य में गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। बेतवा नदी की जलधारा में प्रतिबंधित मशीनों का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर मौरंग और बालू निकाली जा रहा है। ओवरलोड ट्रकों के जरिए इसका परिवहन बिना रॉयल्टी के किया जा रहा है, जिससे सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से ठोस कार्रवाई का अभाव जनता में आक्रोश पैदा कर रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब प्रदेश सरकार माफियाओं के खिलाफ बुल्डोजर चलाने की बात करती है, तो हमीरपुर का यह खनन माफिया बेखौफ क्यों बना हुआ हैं?
क्या है अवैध खनन का सच?
सूत्रों के अनुसार, चंदवारी घुरौली में अवैध खनन का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। एनजीटी के नियमों के अनुसार, खनन से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ई आई ए) और स्थानीय समुदाय की सहमति अनिवार्य है, लेकिन इनका पालन नहीं हो रहा। खनन माफिया न केवल निर्धारित गहराई से अधिक खुदाई कर रहि है, बल्कि रात में भी अवैध गतिविधियां चला रहि है, जो एनजीटी के सख्त प्रतिबंधों का उल्लंघन है।
मुख्यमंत्री के दावों पर सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बार-बार कहा है कि प्रदेश में माफियाओं और अवैध कारोबारियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। लेकिन हमीरपुर के खंड संख्या 26/8 चंदवारी घुरौली में अवैध खनन का यह खुला खेल उनके दावों को चुनौती दे रहा है। सवाल उठता है कि क्या स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह गोरखधंधा चल रहा है? या फिर कोई और वजह है, जो कार्रवाई को रोक रही है?
इस अवैध खनन कांड ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या खनन माफिया पर बुल्डोजर चलेगा, जैसा कि मुख्यमंत्री का दावा है, या यह खेल यूं ही अनियंत्रित चलता रहेगा?
यह वक्त है कि हमीरपुर की जनता और जागरूक नागरिक इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएं। अवैध खनन न केवल पर्यावरण, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से इस क्षेत्र में छापेमारी करे, दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे और एनजीटी के नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे।
खंड संख्या 26/8 में अवैध खनन का यह काला सच अब और छिपा नहीं रह सकता। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अब भी चुप रहेगा, या एनजीटी नियमों का सम्मान करते हुए कानून का राज स्थापित करेगा?