फारबिसगंज और आसपास में पारम्परिक रूप से मना लोक आस्था का महापर्व छठ

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भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पारम्परिक निष्ठा के साथ शुक्रवार को भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हो गया । भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित कर लोगों ने विभिन्न घाटों पर पूजा अर्चना की। फारबिसगंज के डॉ. अलख बाबू के पोखर में भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित कर लोगों ने श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना की और कोठी हाट नहर में भी भगवान सूर्य की विशाल प्रतिमा स्थापित कर लोगों ने श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना की।

सुन लीं अरजिया हमार, हे छठी मैया..सुन लीं अरजिया हमार, हे छठी मैया..।हे सूर्यदेव! हे छठी मैया! मेरी अर्जी सुनो और मेरे मन की वर्षो पुरानी आस पूरी करो। मैं सब दरबार से थक हार कर बैठ गयी हूं। अब तुम्हारे सिवा मेरा कोई सहारा नहीं। तुम पूरी दुनिया को जीवन देते हो, मुझे एक बेटा दे दो..।

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सूर्य की प्रथम पत्नी प्रत्यूषा को अस्ताचल गामी सूर्य के साथ संतान की दीर्घायु कामना से अर्घ्य दिया जाता है, जबकि उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते वक्त उनकी दूसरी पत्नी उषा को अर्घ्य दिया जाता है इसके पीछे संतान प्राप्ति की मनोकामना होती है।

लोक आस्था के महान पर्व छठ के मौके पर दंड प्रणाम देते हुए छठ घाटों तक जाने वाले लोगों की लंबी कतार दिखी। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। सबके मन में कुछ न कुछ कामना थी और यह उम्मीद भी थी कि छठी मैया और भगवान भाष्कर उनके मन की आस जरूर पूरी करेंगे।

तीन दिनों के निर्जला व्रत के बावजूद कोलतार की पक्की सड़क पर दंड प्रणाम करते हुए छठ घाटों तक जाना निश्चय ही एक बड़ी तपस्या है और इसे देख कर यही लगा कि किसी भी याचना को पूरा करने से पहले भगवान अपने भक्तों की कठिन परीक्षा लेते हैं।इस दौरान पुलिस के कई अधिकारी खूब चौकस नजर आए।बाटे सुरुज देव कहां लागल देर..लोगों ने नियत समय पर अर्घ्य दिया। लेकिन इस दौरान सूर्य देव को समर्पित यह गीत बड़ा प्रासंगिक लगा।

बाटे सुरुज देव कहां लागल देर..? छठ घाटों पर कई श्रद्धालु गा रहे थे कि हे सूर्य देव आपको आने में क्यों विलंब हो गया? इस सवाल का जवाब उनके गीत में ही था। सूर्य देव कहते हैं कि रास्ते में मुझे कई नेत्रहीन, निर्धन, संतानहीन याचक मिल गए। उनकी मनोकामना पूरी करने में मुझे देर हो गयी। हे भक्त बताइए, आपकी क्या मनोकामना है? मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा।

छठ को लेकर चप्पे चप्पे पर सुरक्षा के थे पुख्ता इंतजाम पर्व के दौरान किसी प्रकार भी अशांति ने फैले इसके लिये प्रशासन शुरू से ही चौकस थी। शांति व सद्भावना बनाये रखने के लिये प्रशासन पर्व के दो तीन पूर्व से अपील कर ही रही थी। लेकिन पर्व के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किये गये थे। सुरक्षा में कोई चुक नही हो इसके लिये एसडीओ शैलजा पांडे, डीएसपी मुकेश कुमार साहा , फारबिसगंज बीडीओ- सीओ, फारबिसगंज थानाध्यक्ष एवं एसएसबी के जवान घाटों पर घूम घूम कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।

लोक आस्था का महापर्व छठ जाति-धर्म , क्षेत्र-संप्रदाय से ऊपर हट कर है ! यह लोक आस्था का अनूठा पर्व है जहाँ शास्त्रों से ऊपर हट कर भावनात्मक स्तर से अर्चना की जाती है पंडितों के विधि विधान बताएं बिना ही लोग स्वयं अपने दृढ़ निश्चय और पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक नियमों का पालन कर पूजा अर्चना करते हैं ! छठ एक मात्र ऐसा पर्व है जहाँ प्रभु स्वयं भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं हमारा देश भारत विभिन्न सांस्कृतिक परम्पराओं का धरोहर है और धर्म निरपेक्ष राष्ट्र होने की वजह से सभी पर्व त्योहारों को सम्मान मिलता है तथा उसका निर्वाह करने का मौका मिलता है।

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