सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसादम में मिलावट के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी टीम की मॉनिटरिंग सीबीआई डायरेक्टर करेंगे। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है।
एसआईटी में सीबीआई डायरेक्टर की ओर से मनोनीत दो सीबीआई अधिकारी, दो राज्य पुलिस के अधिकारी और एक एफएसएसएआई के अधिकारी शामिल होंगे। अब राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी की बजाय ये नई एसआईटी जांच करेगी। कोर्ट ने कहा कि वो नहीं चाहता है कि ये मामला सियासी ड्रामा में तब्दील हो। मामला करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा है। इसलिए वो इस मामले में स्वतंत्र एसआईटी की जांच का आदेश दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है वो जुलाई की है लेकिन मुख्यमंत्री इसको लेकर सितंबर में बयान दे रहे हैं।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि इस रिपोर्ट को देखकर ये स्पष्ट नहीं है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल हुआ कि नहीं। कोर्ट ने मंदिर प्रशासन से पूछा कि जिस सैंपल में मिलावट मिला था, क्या उसका इस्तेमाल प्रसादम बनाने में हुआ था। तब मंदिर प्रशासन के वकील ने कहा था कि इसकी जांच करनी होगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब जांच चल रही थी, फिर ये सबूत कहां है कि प्रसादम का लड्डू बनाने में मिलावटी घी का प्रयोग हुआ था।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी समेत दूसरे याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें मामले की जांच की मांग की गई थी।याचिका में भगवान श्री वेंकटेश्वर के निवास स्थान तिरुपति तिरुमाला में लड्डुओं में घटिया सामग्री और पशु चर्बी वाले घी के कथित आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कमेटी गठित करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि मंदिर में प्रसाद की गुणवत्ता की आंतरिक रूप से जांच करने की जानी चाहिए।