मुख्यमंत्री डाॅ. यादव ने स्वतंत्रता सेनानी मदनलाल ढींगरा को बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले महान देशभक्त,अमर शहीद मदनलाल ढींगरा की आज शनिवार काे पुण्यतिथि है। हर साल 17 अगस्त को बलिदान दिवस के रूप में मदनलाल ढींगरा की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इस अवसर पर देश उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है। मुख्यमंत्री डाॅ. माेहन यादव ने मदन लाल ढींगरा काे बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित किए है।

मुख्यमंत्री डाॅ. यादव ने साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट करते हुए लिखा मां भारती के सपूत, अमर शहीद, स्वतंत्रता सेनानी, श्रद्धेय मदनलाल ढींगरा जी को बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए आपने 25 वर्ष की युवावस्था में हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। देश आपके त्याग से कभी उऋण ना हो सकेगा।

उल्‍लेखनीय है कि हुतात्‍मा मदन लाल ढींगरा ऐसे क्रांतिकारी और स्वतंत्रता समर्थक थेद कि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा अमानवीय भारतीयों की हत्या का बदला लेने के लिए विलियम हट कर्जन वायली की हत्या कर दी थी, जबकि वे इंग्लैंड में छात्र थे। ढींगरा स्वदेशी आंदोलन में विश्वास करते थे। उन्हें लगता था कि स्वशासन ही मुख्य समस्याओं का समाधान हो सकता है। एक बार, ढींगरा ने अपने कॉलेज के प्रिंसिपल के उस आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म के ब्लेज़र इंग्लैंड से आयातित कपड़े से बनाए जाने थे। इसके लिए उन्हें कॉलेज से भी निकाल दिया गया था। उनके पिता ने उनसे कॉलेज से माफ़ी मांगने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और अपने पिता से इस मामले पर बात करने के लिए घर आने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने उसके बाद कई निम्न-स्तरीय नौकरियाँ कीं, जिससे उनके परिवार को उनकी चिंता होने लगी। फिर उनके भाई ने उन्हें ब्रिटेन में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए मना लिया, जिसके लिए वे अंततः सहमत हो गए। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया।

ब्रिटेन में, वे विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा सहित कई भारतीय क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। इन मुलाकातों ने उनका ध्यान भारत की स्‍वाधीनता की ओर मोड़ दिया और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया। वे अभिनव भारत मंडल गुप्त समाज संस्‍था में शामिल हो गए। उल्‍लेखनीय है कि कर्जन वायली से पहले, ढींगरा ने जॉर्ज कर्जन और बम्फिल्डे फुलर को मारने की कोशिश की थी, लेकिन वे हत्या को अंजाम नहीं दे पाए। इसके बाद उन्होंने कर्जन वायली को मारने का फैसला किया, जो सबसे उच्च रैंकिंग वाले ब्रिटिश अधिकारियों में से एक थे । ढींगरा ने उन पर पाँच गोलियाँ चलाईं। जिनमें से 4 हिट थीं। उनकी तुरंत मृत्यु हो गई। ढींगरा को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। ढींगरा पर ओल्ड बेली में मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है और उनके कार्य केवल देशभक्ति से प्रेरित थे। जबकि कई लोगों ने हत्या की निंदा की, कई लोगों ने इसकी सराहना भी की। उनके अंतिम शब्द के रूप में आज एक छोटा देशभक्तिपूर्ण भाषण मौजूद है । फांसी के फंदे पर लटकने के पूर्व उन्‍हें एक शब्‍द बोला वंदे मातरम ।

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