केंद्र सरकार ने 14 जून 2022 को भारत की तीनों सेनाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना में युवाओं की बड़ी संख्या में भर्ती के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की थी। अग्निवीर स्कीम लागू होते ही विवादों में आ गई थी। इस स्कीम में सिर्फ 4 साल की सर्विस को विपक्ष ने युवाओं के साथ धोखा बताया। विपक्ष खासकर कांग्रेस ने अपने चुनावी कैंपेन में अग्निवीर स्कीम को मुख्य मुद्दा बनाया है।
अब पता चला है कि देश की सेना भी एक इंर्टनल सर्वे कर रही है, अग्निवीर योजना में क्या सुधार किया जा सकता है, इसे लेकर कई तरह के सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। देश में जब से अग्निवीर योजना लागू हुई है, इस पर जमकर बहस देखने को मिल रही है। इसी मुद्दे पर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ ने समाज के हर वर्ग से बात करके जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की।
लखनऊ निवासी कारपोरेट मैनेजर मोहित शर्मा के अनुसार, अग्निवीर योजना देश हित में है। अग्निवीरों की सेवाशर्तों को बेहतर बनाया जा सकता है। देश की सेनाओं को युवाओं की सख्त आवश्यकता है। बंद करने की बजाय इसमें सुधार किया जाए। सैनिक ही देश की असली ताकत हैं।
लखनऊ में बिजनेस मैनजमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर आभा प्रसाद के अनुसार, अग्नि वीर योजना बंद नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार की यह योजना बेरोजगारी दूर करने के लिए अच्छा कदम है। इससे युवाओं व गरीब वर्ग का आर्थिक रूप से विकास हुआ है। सरकार को इस योजना में सामाजिक सुरक्षा के उपायों को और मजबूत करना चाहिए।
लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र प्रतीक मिश्रा कहते हैं कि अग्निवीर योजना को बंद करना उचित नहीं होगा। इस योजना में सुधार कर पच्चीस फीसदी के स्थान पर पचास फीसदी को स्थाई रूप से नियुक्ति दी जा सकती है। रक्षा अनुसंधान पर खर्च में बढ़ोतरी करनी चाहिए।
हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) लखनऊ से सेवानिवृत्त लेखाधिकारी जनेश्वर तिवारी के मुताबिक, सेना में ज्यादा से ज्यादा युवाओं की जरूरत है। इस योजना से युवा अनुशासन, नेतृत्व और तकनीकी कौशल सीख रहे हैं। सरकार अग्निवीरों का भविष्य सुरक्षित करने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्हें रिटायरमेंट पर 25 लाख रुपये मिलते हैं। राज्य पुलिस सेवा और अन्य कुछ सेवाओं में प्राथमिकता दी जाती है। अग्निवीर योजना बंद नहीं होनी चाहिए।
समाज सेवी कमल पाल के अनुसार, चयनित युवा इसी मानसिक तनाव में रहता है कि चार साल बाद उसका भविष्य क्या होगा। संविदा में रहते हुए भी देश सेवा के लिए वह जान भी दे दे तो भी उसे शहीद का दर्जा तक नहीं मिलता। इसके अलावा कुशल सैनिकों की कमी एवं सैन्य अस्थायित्व जैसे मुद्दे सेना की कार्यकुशलता को भी प्रभावित कर रहे हैं। योजना में सुधार होना चाहिए।
गृहणी रजनी तिवारी के अनुसार, अग्निवीर योजना को बंद कर देना ही उचित होगा। यह योजना सैनिकों के लिए स्थायी रोजगार और पेंशन की गारंटी नहीं देती। इससे उनकी सुरक्षा और भविष्य अनिश्चित हो जाता है। इसके अलावा, यह योजना पारंपरिक सेना भर्ती प्रक्रिया में बदलाव लाती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और योग्यता पर सवाल उठते हैं। रजनी कहती हैं, सुनने में आया है कि सरकार इस योजना में कुछ बदलाव करने वाली है। ये अच्छी खबर है।
डेयरी व्यवसाय से जुड़े रामनिवास यादव के अनुसार, सैनिक बनने के लिये कड़ी मेहनत और समय लगता है। तभी उनमें देशभक्ति और समर्पण की भावना आती है। मात्र छह महीने की ट्रेनिंग से कोई सैनिक नहीं बन सकता। बेरोजगार युवाओं को अग्निवीर का लालच दे कर भारतीय सैन्य बल में अपरिपक्व और नौसिखयों की ही भर्ती होगी। ऐसे अग्निवीर देश सेवा कैसे करेंगे जिनका उद्देश्य छह साल बाद, मात्र केवल पैसा कमाना होगा। इस योजना को बंद कर दिया जाना चाहिए।
केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड से सेवानिवृत्त क्षेत्रीय निदेशक प्रदीप कुदेसिया कहते हैं, अग्निवीर योजना युवाओं को देश सेवा के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है। इस महत्वाकांक्षी योजना को बंद करना समस्या का हल नहीं है। अग्निवीरों को रेजिमेंट सैनिकों के समकक्ष मान-सम्मान मिलना चाहिए। साथ ही सैन्य कल्याण से जुड़ी अन्य योजनाओं का पूरा लाभ मिलना चाहिए।
युवा एडवोकेट नितिन बंसल के अनुसार, भारतीय सेना के रिक्त स्थाई पदों को पहले की तरह ही स्थाई भर्ती से पूरा करना चाहिए। अग्निवीर योजना अतिरिक्त भर्ती के रूप में न्यायसंगत है। बढ़ती बेरोजगारी के माहौल में देश के युवाओं की अनमोल ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ करना महंगा पड़ सकता है। रोजगार मुहैय्या कराना केन्द्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। बकौल नितिन सुनने में आया है कि सरकार इस योजना में सुधार करेगी। सरकार को युवा कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए। आखिरकार युवा देश का वर्तमान है।
अब तक कितने अग्निवीर?
जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक अग्निवीर योजना के तहत 40 हजार युवाओं ने अपनी ट्रेनिंग पूरी की है। इस समय नेवी में 7385 अग्निवीर हैं। वायुसेना में 4955 अग्निवीर चल रहे हैं लेकिन इस योजना को लेकर असमंजस का माहौल भी है। चुनावी मौसम में तो ये बड़ा मुद्दा बन चुका है।