कुशीनगर। हिंदू धर्म में नौतपा का खास महत्व बताया गया है। इस दौरान भयानक गर्मी पड़ती है। वहीं ज्योतिष में ज्ञान रखने वालों ने भी संभावना जताई है कि इन नौ दिनों में सूर्य आग उगलेगा और पृथ्वी भयानक तपेगी, बरदहा पांडेय के ज्योतिषशास्त्री पं. आशुतोष प्रताप पांडेय बताते हैं कि सूर्य 25 मई को ही प्रातः 7 बजकर 54 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किए है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही नौतपा शुरू हो जाता है। इस दौरान पूरे 9 दिनों तक सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती है, जिससे तापमान गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
जलदान करने से प्रसन्न होते हैं पितर
भठही बुजुर्ग के पं. परमेश्वर शुक्ल ने हृषिकेश पंचांग के हवाले से बताया कि नौतपा की शुरुआत 25 मई से हो चुकी है। उन्होंने बताया कि नौतपा के दिनों में भगवान सूर्य की पूजा का बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है, सूर्य देव की आराधना से व्यक्ति के तेज में वृद्धि होती है, जीवन में संपन्नता आती है, इसके साथ ही नौतपा के दौरान जल दान से पितृ प्रसन्न होते हैं, इसलिए कोई प्यासा हो तो उसे पानी जरूर पिलाना चाहिए, नौतपा में जल के साथ ही अन्य चीजों का दान करने से भी आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
दसमी तिथि का क्षय शुभकारी
अहलादपुर के ज्योतिषचार्य पं. अनिल कुमार उपाध्याय ने बताया कि पूर्व से अस्त चल रहे देवगुरु बृहस्पति 3 जून को सुबह 7 बजे पूर्व दिशा में उदित होगे किंतु दैत्यगुरु शुक्राचार्य अभी अस्त ही रहेंगे इसलिए विवाह आदि शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त हैं, इस पक्ष में दसमी तिथि का क्षय है जिससे यह पक्ष 14 दिनों का होगा, कृष्ण पक्ष में तिथि का क्षय होना शुभफलकारी माना गया है। गर्मी खूब पड़ेगी और 3 जून के आसपास आंधी-पानी के साथ वर्षा होने का योग बन रहा है, 22 जून को ज्येष्ठ माह समाप्त होने के बाद गर्मी से राहत मिलेगी। उस समय सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएगा और धरती पर बारिश की बूंदें गिरने लगेंगी। इस नौ दिनों में सूर्यदेव, पृथ्वी के सबसे निकट रहते हैं और उनकी सीधी किरणें पृथ्वी पर आतीं हैं, बुजुर्गों और कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अच्छी खेती के लिए वर्ष में इसका आना बहुत ही आवश्यक है, अन्यथा की स्थिति में यह भावी मौसम, कृषि और पैदावार पर विपरीत प्रभाव भी डालता है.
नौतपा लगने के फायदे
(1).1-2 दिन लू ना चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे.
(2). तीसरे-चौथे दिन लू ना चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे जो खेतो को नष्ट कर देंगे.
(3).5वे-6वे दिन ना चली तो आंधियां इतनी अधिक हो जाएंगी की फसलें नष्ट हो जाएंगी.
(4). सातवे-आठवे दिन ना चली तो सांप- बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे.
(5). नौवे दिन ना चली तो बुखार व फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले किट नष्ट ना होंगे. “हर नियम के पीछे कोई ना कोई कारण होता है।