अशक्त व्यक्ति भी विधिक सेवायें लेने का हकदार : सचिव कुलदीप सिंह

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अवधनामा संवाददाता

कारागार में लगाया गया विधिक साक्षरता शिविर

ललितपुर। जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चन्द्रोदय कुमार के निर्देशानुसार एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में जिला कारागार में निरूद्ध बंदियों को मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिये विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह, कारागार अधीक्षक लाल रत्नाकर सिंह, हड्डी रोग विशेषज्ञ डा.के.के. मिश्रा व डा.बबली कुमारी ने बताया कि मानसिक बीमारी साध्य है। मानसिक रूप से अशक्त व्यक्ति, मानसिक विकारों के कारण पीडि़त है। मानसिक रूप से बीमार एवं मानसिक अशक्तता से ग्रस्त व्यक्तियों का मानव अधिकार एवं मौलिक अधिकार हैं। उनकी सुरक्षा किया जाना आवश्यक है। जिससे वह अपने मानव अधिकार एवं मौलिक अधिकार का लाभ ले सके। मानसिक रूप से बीमार एवं अशक्त व्यक्तियों की मानव गरिमा की भी सुरक्षा किया जाना आवश्यक है और उनके साथ मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण भेदभाव नहीं किया जा सकता। बल्कि उनके साथ अत्यंत संवेदना एवं सुरक्षा, देखभाल का व्यवहार किया जाना चाहिए। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 से उत्पन्न उपचार एवं उचित स्वास्थ्य की देखरेख का अधिकार सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होता है और मानसिक बीमार व्यक्ति जानकारी के अभाव में, उपेक्षा अथवा अंधविश्वास या साधनों के अभाव में उपचार प्राप्त करने से वंचित रह जाते है। विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के तहत वह व्यक्ति जिन्हें अशक्त व्यक्तियों (समान अवसर, अधिकारों की रक्षा और पूर्ण सहभागिता) अधिनियम, 1995 के तहत परिभाषित किया गया है और जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड (फ) के अर्थ में मनोचिकित्सक अस्पताल अथवा मनोचिकित्सक नर्सिंग होम में रखा गया है, विधिक सेवाओं के हकदार हैं। इसलिए नालसा ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 4(बी) के अंतर्गत सशक्त अपने अधिकार से मानसिक रोगी और मानसिक अशक्तताग्रस्त व्यक्तियों को प्रभावशाली विधिक सेवाएं प्रदान करने के लिए वर्ष 2010 में एक योजना बनाई थी। हालांकि, योजना सबसे पहले 2010 में शुरू हुई थी, परन्तु सभी राज्यों द्वारा प्राप्त कार्यान्वयन रिपोर्टों से यह लगता है कि इन उपेक्षित व्यक्यिों को न्याय तक पहुँचने के लिए सक्षम करने वाले राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण/विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा प्रदान करने वाली सेवाओं को मजबूत करने के लिए उनका पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है। यहां इन लोगों तक पहुँचने के लिए अग्र सक्रिय रूप से अभिगमन की अत्यंत आवश्यकता है। अब तक विधिक सेवा संस्थान सिर्फ उन तक पहुंचे मामलों में ही सहायता प्रदान कर रही है फिर भी, न्यायालय संबंधी गतिविधियां में अब भी बहुत कुछ करना बाकी है। इसी पृष्ठभूमि में मानसिक रूप से अस्वस्थ एवं मानसिक रूप से अशक्त व्यक्तियों के लिए विधिक सेवा की नई योजना नालसा मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवाऐं योजना, 2015 बनाई गई है। बन्दियों को विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध करायी गयी।

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