आत्मसमर्पण कर जेल गए दस्यु सरगना हुए रिहा

0
137

अवधनामा संवाददाता

कभी यादव से तिवारी बन गए थे बासदेव, कहलाने लगे थे दस्यु सम्राट

तत्कालीन एसपी विकाश वैभव ने कराया था आत्मसमर्पण

तमकुहीराज, कुशीनगर। 1967 में हुये गुटबंदी और राजनीतिक प्रतिशोध को लेकर शुरू हुए गैगवार में आये बासदेव यादव देखते हो देखते अपराध की दुनिया मे छा गये। बिहार ही नही बल्कि नेपाल और यूपी के इलाकों में भी उनका दबदबा कायम हो गया। 1970 की दशक में वह आतंक का पर्याय बन गये। इलाके में आतंक इस कदर हावी हो गया था कि रात और दिन का अंतर मिट गया था। उनके नाम का ख़ौफ़ इस कदर था कि मात्र इसारो से ही बड़े बड़ो का पसीने छूट जाते थे। पश्चिमी चंपारण के अधिकांश हिस्सों पर दस्युओ का बोलबाला था।

गंडक नदी के किनारे उदयपुर बीहड़ से लेकर मदनपुर बीहड़ तक करीब एक सौ किलोमीटर क्षेत्र में बासदेव यादव नाम का डंका बजता था। ठकरहा प्रखंड के सेमरवारी गांव निवासी बासदेव अपराध की दुनिया मे “यादव” से “तिवारी” बन चुके थे। 70 के दशक के अंत तक वह दस्यु सम्राट तिवारी के नाम से पश्चिमी चंपारण में कुख्यात हो गये थे। उस समय पुलिस का क्या मजाल था कि उन्हें गिरफ्तार कर सके। तिवारी के गिरोह में दो दर्जन से ज्यादा दस्यु शामिल थे। जानकर बताते है कि बासदेव यादव गरीबो के लिए मसीहा थे वह उस गरीब का हर समय मदद करते थे जिसको मदद की आवश्यकता थी। गरीब लड़कियों की शादी हो या पूजा पाठ बढ़ चढ़ कर मदद करते थे। पीड़ित न्याय के लिए भी उनके पास जाते थे और दबे कुचले लोगो मे वह काफी लोकप्रिय थे। गरीब लड़कियों की शादी में कपड़ा, गहना, खाने पीने की सामग्री उपलब्ध करवा देते थे। बीते दिसम्बर माह में जेल से छूट कर घर आकर वास्तिवक जिंदगी जी रहे है।

23 मई 2008 को किया था आत्म समर्पण

बिहार और यूपी के इनामी कुख्यात दस्यु बासदेव यादव बगहा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विकास बैभव के सामने 23 मई को आत्मसमर्पण किया था। उस समय उनके खिलाफ बिहार के विभिन्न थानों में 94 मामले दर्ज थे तो यूपी में भी 12 मामले दर्ज थे। बासदेव यादव उर्फ तिवारी पर बिहार सरकार 2 लाख तो यूपी सरकार 50 हजार का इनाम घोषित किया था। तत्कालीन एसपी विकास वैभव दस्युओ को मुख्यधारा में लाने के लिए हर सम्भव प्रयास करना शुरू कर दिया था। दस्युओ को सबसे पहले आर्थिक चोट पहुचाना शुरू किया। कहा जाता है कि 2006-7 में गन्ना कटवाकर 25 लाख रुपये सरकार के खजाने में जमा किया था। गन्ना कटवा लेने से आर्थिक रूप से कमर टूटी लेकिन असल बदलाव तब आया जब लोगो से पुलिस कप्तान ने संवाद शुरू किया। संवाद रंग लाया था और एक वर्ष के अंतराल में 26 दस्यु आत्मसमर्पण किये।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here