रोश फार्मा ने भारत में क्लीनिकल ट्रायल एक्सीलेंस प्रोजेक्ट शुरू किया

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लखनऊ: विश्व की प्रमुख बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी, रोश फार्मा इंडिया ने आज भारत में अपने क्लीनिकल ट्रायल एक्सीलेंस प्रोजेक्ट को शुरू करने की घोषणा की। देश में क्लीनिकल ट्रायल तथा दवाओं को लेकर शोध करने में सार्वजिनक स्वास्थ्य संस्थाओं की क्षमताओं को मजबूती देने के उद्देश्य से इसकी शुरूआत की गई है। इससे सरकारी अस्पताल भी देश में क्लीनिकल शोधों के लिए उत्कृष्ट केंद्र बनने में सक्षम हो पाएंगे और वैल्‍यू चेन को आगे बढ़ाएंगे।

लखनऊ, उत्तरप्रदेश का कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट (केएसएसएससीआई) इस पहल में रोश के साथ साझेदारी करने वाला पहला संस्थान बन गया है। केएसएसएससीआई, उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से 750 बिस्तरों वाला एक अत्याधुनिक कैंसर केंद्र है। यह केंद्र कैंसर से जुड़े अनुसंधान और शिक्षा के साथ काफी गहराई से जुड़ा हुआ है।

इस प्रोग्राम के पहले चरण में, रोश 10 सरकारी अस्पतालों के साथ साझेदारी करना चाहता है ताकि वैश्विक मानकों के अनुसार क्लीनिकल ट्रायल संचालित करने के लिए अपनी मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाकर क्लीनिकल शोध में उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया जा सके। ऐसा करने वाले समाधानों में शामिल है, रिसर्च टीम का प्रशिक्षण करना, प्रक्रियाओं का विकास या संवर्द्धन, दस्तावेज प्रस्तुति का डिजिटलीकरण और आचार समिति द्वारा मूल्यांकन। इससे नए तरह के उपचार और मरीजों की सुरक्षा पर केंद्रित कई सारे उच्च गुणवत्ता वाले क्लीनिकल शोध के के मार्ग खुल रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट को भारत में लागू करने के लिए रोश ने गैप असेसमेंट के माध्‍यम से एक क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (सीआरओ) क्विनरी क्लीनिकल रिसर्च को अपने साथ जोड़ा है। इसके अंतर्गत, विश्व-स्तरीय क्लीनिकल ट्रायल्स करने की आवश्यक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान, प्रशिक्षण एवं वर्कशॉप्‍स के जरिये कौशल बढ़ाने की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा।

भारत में पूरे विश्व की 17% आबादी रहती है, वहीं पूरी दुनिया की 20% बीमारियों का बोझ इस पर है। इसके साथ ही दुनिया मे सबसे प्रशिक्षित नर्स और अनुभवी डॉक्‍टर उपलब्ध कराने वाला भारत सबसे बड़ा देश है। इसके बावजूद, इस देश में पूरे विश्व के 1.4% से भी कम क्लीनिकल ट्रायल्स होते हैं। यही वजह है कि बड़ी संख्या में उपचार का इंतजार करने वाले मरीजों का प्रमुख बाजार होने के बावजूद, भारत में अक्सर दवाएं देरी से लॉन्च होती हैं।

वी सिम्पसन इमैनुएल, एमडी एवं सीईओ, रोश फार्मा इंडिया, का कहना है, “हमें यूपी के केएसएसएससीआई और इसी तरह देशभर के अन्य सरकारी संस्थानों के साथ साझेदारी करते हुए बेहद खुशी हो रही है। दरअसल, हम सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना को मजबूत करने के मिशन पर हैं। यह साझेदारी हमें ज्ञान के भागीदार के रूप में स्थापित करेगी, जिससे अत्याधुनिक चिकित्सकीय तथा डिजिटल कौशल को जोड़ने में मदद मिलेगी। हमारी साझा पहल स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के साथ-साथ पूरे भारत में स्वास्थ सेवा को बेहतर बनाएगी। यह पहल सरकार द्वारा हाल ही लॉन्च किए गए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) नीति के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाते हुए, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के कौशल तथा क्षमताओं को उन्नत बनाना है। उन्नत कौशल तथा क्षमताओं के साथ भारत लोगों में व्याप्त बीमारियों को रोकने लिए क्लीनिकल ट्रायल्स करने में बेहतर स्थान हासिल कर पाएगा। इसके साथ ही दवाओं तक उनकी पहुंच बेहतर हो पाएगी।”

डॉ. विराज सुवर्णा, चीफ मेडिकल ऑफिसर, रोश फार्मा इंडिया ने अपनी बात रखते हुए कहा, “इस तरह की पहल, स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में बेहतरीन कदम है। क्लीनिकल ट्रायल की क्षमताओं में सुधार लाने से भारत की जनस्वास्थ्य संस्थाएं, विश्व-स्तरीय शोध कर पाएंगी। साथ ही इन सार्वजनिक संस्थानों में दुनियाभर के अनूठे प्रोडक्ट्स को भारत के मरीजों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। मरीजों को चिकित्सकीय समस्याओं का उपचार ढूंढने के लिए विदेश नहीं जाना पड़ेगा।”

प्रोफेसर राधा कृष्णा धीमन, डायरेक्टर, केएसएसएससीआई का कहना है, “हमें रोश फार्मा इंडिया के साथ साझेदारी करके बेहद खुश हैं। यह हमारी टीम को शैक्षणिक रूप से बेहतर बनाकर और अनुसंधान तथा विकास में योगदान देने के साथ-साथ ट्रायल को और भी ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए उच्च मानक तय कर रहा है। ऐसा करने से केएसएसएससीआई और भी सक्षम हो पाएगा। यह उत्तरप्रदेश के संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालने के हमारे नजरिये के अनुरूप है।”

भारत में वैश्चिक क्लीनिकल ट्रायल का विस्तार, क्लीनिकल शोध में और भी ज्यादा विविधतापूर्ण प्रतिभागियों को शामिल कर, शोध को ज्यादा समावेशी बनाएगा। इससे भारत की बड़ी आबादी को ही फायदा पहुंचने वाला है। इसके साथ ही, यह सरकारी केंद्रों को स्थानीय तथा वैश्विक रूप से और भी ज्यादा ट्रायल करने में सक्षम बनाएगा। यह स्वास्थ्य सेवा अनुसंधान तथा विकास में भारत की भूमिका को बेहतर बनाने का काम कर रहा है।

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