सुन्नी वक़्फ बोर्ड, पहल क्यों न करे?

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वकार रिजवी
आज जब पूरी दुनियां की सरकारें रात दिन एक किये हुये हैं कि वह किस तरह अपने देशवासियों को इस कोरोना वायरस से बचा सकते हैं, हमारे मोदी और योगी जी देश की जनता को इससे बचाने के लिये हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस इतना घातक है कि उसने आस्था जैसे वायरस का भी दम तोड़ दिया और ऐसा दम तोड़ा कि मस्जिदों में ताले लग गये, सभी धार्मिक स्थल बन्द हो गये, सरकार द्वारा जनता के पैसों से हज़ारों करोड़ की बनवायी गयी मूतियों की तर$फ नजऱ उठा के देखने को भी आज कोई तैयार नहीं, मोहब्बत की मूरत और बादशाहों के कि़ले वीरान पड़े हैं, जनता की निगाहें बड़ी उम्मीदों से सिर्फ और सिर्फ अस्पतालों की तरफ़  देख रही हैं, कि कब और कहां कितने अस्पताल हमें इस बीमारी से बचाने के लिये तैयार हैं आज अखबारों ख़बरों की ख़बरों में एक ही ख़बर अहम होती है कि कितने अस्पतालों में कितने वेंटिलेटर आ चुके हैं कितने और कहां से आ सकते हैं, डाक्टर की कहीं कमी तो नहीं, अस्पताल में मरीज़ों के लिये जगह कम तो नहीं। यह बात हमारी सरकार भी ख़ूब जानती है कि अगर भगवान न करे हम तीसरी स्टेज में पहुंच गये तो संभालना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि सभी सरकारों ने ऐसी मुश्किल से निपटने के पर्याप्त अस्पताल बनवाने के बजाये आस्था के केन्द्र बनवाने को अधिक महत्व दिया है।
अब से सही, सुबह का भूला भी शाम को घर वापस आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते, हम इसकी पहल आज से भी कर सकते हैं और दूसरों को उपदेश देने के बजाये ख़ुद इसकी पहल करें। सबसे अच्छी शुरूआत बाबरी मस्जिद की जगह मिली ज़मीन पर सुन्नी वक्फ़़ बोडऱ्  हिन्दुस्तान का एक आलीशान अस्पताल बना सकता है जिसका सभी लोग स्वागत करेंगे। किसी न किसी को तो इसकी पहल करनी होगी तो हम क्यों नहीं, आज अगर मायावती जी की जगह मुलायम सिंह ने राम मनोहर लोहिया की मूर्ति बनवायी होती तो उसपर चील कव्वे बैठकर प्रतिदिन गंदगी कर रहे होते लेकिन उन्होंने अपने पहले ही साल राम मनोहर लोहिया की मूर्ति न बनवाकर उनके नाम से अस्पताल बनवा दिया जिसमें हज़ारों लोगों को हर रोज़ जीवन मिलता है ऐसे ही संजय गांधी पी.जी.आई. की जगह अगर संजय गांधी की गगन चुम्बी मूर्ति होती तो वह आज हमारे किस काम आती।

इसलिये सुन्नी वक्फ़़ बोर्ड से अनुरोध है कि वह वक़्त की नज़ाकत को समझे और अविलम्ब अपने मुशीरों से राय मशवरा करके ऐलान कर दे कि सरकार द्वारा बाबरी मस्जिद की जगह दी गयी ज़मीन को हम किसी एक धर्म विशेष के लिये नहीं बल्कि सभी देशवासियों की आस्था का एक ऐसा केन्द्र अस्पताल के रूप में बनायेंगे जो सभी आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित होगा और ऐसी विपदा के समय पूरे देश के काम आयेगा।इसलिए आस्था से ऊपर उठे, सरकार का साथ दें, मोदी जी की सुने, अपनी भी सुरक्षा करें और दूसरों को भी सुरक्षा दें।

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