राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण बेबस हुई सरकार

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लोकसभा में बड़े आराम से तीन तलाक बिल पर आम राय हासिल करने वाली केंद्र सरकार के सामनेराज्यसभा में इस बिल को पारित करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. बुधवार को तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में खूब हंगामा हुआ. हंगामा इस कदर बढ़ गया कि सदन को स्थगित करना पड़ा. अब आज इस बिल पर फिर से चर्चा की जाएगी. बुधवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जैसे ही तलाक विधेयक पेश करने के लिए खड़े हुए, सदन में हंगामा शुरू हो गया.

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेजने के कारण बताए तो विपक्ष और ज्यादा बिफर गया. कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि संसद रबर स्टैंप नहीं है, जिसका सरकार अपनी मर्जी से इस्तेमाल नहीं कर सकती.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए अचानक बिल पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, क्योंकि इसकी कई वजहें हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आनंद शर्मा (कांग्रेस) प्रस्ताव पेश करें और बिल को तुरंत सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया जाए. उन्होंने कहा कि बिल की कॉपी पहले ही सांसदों को बांटी जा चुकी है. जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक पर दिए निर्णय की मियाद फरवरी में खत्म हो रही है. अरुण जेटली के बयान के बाद सदन में खूब हंगामा हुआ. 

अरुण जेटली ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया देख रही है कि लोकसभा में तो कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन किया और राज्यसभा में विरोध कर रही है. इससे पहले आनंद शर्मा ने कहा कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए ताकि बिल में जरूरी सुधार हो सके. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिल का विरोध नहीं कर रही है बल्कि इसमें और सुधार की जरूरत है. आनंद शर्मा ने कहा कि संसद रबर स्टैंप की तरह काम नहीं करती. नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि लोकसभा में बीजेपी का बहुमत है तो राज्यसभा में उनका. और सदन बहुमत से चलता है. 

उच्च सदन में कमजोर हुई BJP : लोकसभा में बहुमत के बल पर बिल पास कराने वाली बीजेपी राज्यसभा में विपक्ष के आगे कमजोर साबित हो रही है. 245 सदस्यीय वाली राज्यसभा में बिजेपी के 57, कांग्रेस के 57, तृणमूल कांग्रेस के 12 सदस्य हैं. एनडीए गठबंधन वाली केंद्र सरकार के पास उच्च सदन में  88 सदस्य हैं. यहां बिल को पास कराने में केंद्र को 35 और सदस्यों की जरूरत है, जोकि किसी भी लिहाज से केंद्र के पक्ष में आना मुश्किल हैं. इस तरह यहां इस बिल को पास कराना सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. 

लोकसभा में पास हुआ बिल :बता दें कि तीन तलाक बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया है. कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था, जिसके बाद यह बिल पास होने के बाद राज्यसभा में पेश किया गया था. यहां इस बिल का असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध करते हुए कहा था कि यह बिल लोगों की मुश्किल बढ़ाएगा, सरकार को दूसरे धर्म में छोड़ी गई महिलाओं की चिंता करनी चाहिए.

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