Sunday, April 28, 2024
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मुन्ना बजरंगी को बच्चपन से था गैंगस्टर बनने का शौक

अपराध की दुनिया में कदम बढ़ाता रहा मुन्ना बजरंगी
बच्चपन से था गैंगस्टर बनने का शौक

लखनऊ 20 साल में 40 मर्डर के इतिहास के साथ दहशत का पर्याय बने मुन्ना बजरंगी के गैंगस्टर बनने की ख्वाहिश बचपन से ही थे। वह फ़िल्मी विलन की तरह अपना नाम  चाहता था जिसको लोग आतंक के नाम से जाने और जहां से गुज़रे सलाम ठोकते हुए लोग नज़र आये। मुन्ना बजरंगी का दबदबा सिर्फ पूर्वांचल तक ही सिमित नहीं था, प्रदेश के अलावा दिल्ली और उत्तराखंड में भी उसने अवैध कारोबार का जाल बिछा रखा था। मुन्ना बजरंगी का पूरा नाम प्रेम प्रकाश सिंह है, उसका जन्म 1967 में जौनपुर के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे, लेकिन उसने पांचवीं कक्षा के बाद ही  पढ़ाई छोड़ दी। मुन्ना बजरंगी को बच्चपन में ही गैंगस्टर बनने का शौक था। उसे हथियार रखने में रूचि थी। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ  पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।  जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ  मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया। मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा था कि इसी दौरन उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और मौजूदा विधायक मु तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग संचालित तो मऊ और गाजीपुर से होता था लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। 1996 में मु तार ने राजनीति में कदम रखा और मऊ से विधायक चुने गये। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई,  मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। बताया जा रहा है कि पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मु तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। कृण्णनंद राय पर मु तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव दूसरे गैंग का रास नहीं आया। आरोप है कि मु तार ने कृष्णानंद राय का रास्ते से हटाने की जि मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौपी। 29 नवंबर 2005 को मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर एके 47 से तकरीबन400 गोलियां बरसाई थी, इस हमले में गाजीपुर के मोहमदाबाद सीट से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गये थे। बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस घटना ने अपराध की दुनिया में मुन्ना बजरंगी का कद और बढ़ा दिया था। हालाकि अभी यह मामला अदालत में विचाराधीन है। लेकिन विधायक की हत्या का आरोप मु तार और मुन्ना बजरंगी पर ही है। भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में यूपी पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी,  इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। यूपी पुलिस और एसटीएफ  लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी, उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था, दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं थी।  इसलिये  मुन्ना भागकर मुंबई चला गया, उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। बताया जा रहा है कि वह इस दौरान अंडरवर्ड के स पर्क में भी रखा। कुछ दिनों तक उसने मु बई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश देता रहा।

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