Thursday, May 2, 2024
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किसी के विरुद्ध कार्यवाही के पहले कारण बताना अनिवार्य : विजय कुमार पाण्डेय

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वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का यांत्रिक-मूल्यांकन विधि-विरुद्ध: सेना कोर्ट   

किसी के विरुद्ध कार्यवाही के पहले कारण बताना अनिवार्य : विजय कुमार पाण्डेय

 सैन्य-सेवा सम्मान का विषय: देश सेवा का सर्वोत्तम माध्यम सेना है इसलिए प्रत्येक भारतीय सैन्य-सेवा को सर्वाधिक सम्मान करता लेकिन जब अनुशासन-प्रिय संस्थान के उच्च-पदस्थ अधिकारी नियमों के विपरीत जाकर कोई कदम उठाते हैं तो न्यायालय उसमे हस्तक्षेप करता है ऐसा ही मामला बेस हास्पिटल लखनऊ में सेवारत कर्नल सुरजीत बसु के प्रमोशन के सन्दर्भ में देखा गया जो 12 मार्च 1987 को कमीशंड अधिकारी के रूप में सेना मेडिकल कोर में कैप्टन के पद पर भर्ती होकर कालांतर में कर्नल बने, 20 जनवरी 2016 में कर्नल पद से ब्रिगेडियर पद पर प्रमोशन हेतु चयन-समिति गठित की गई जिसने याची को को प्रमोशन के उपयुक्त न मानते हुए उसका नाम सूची से बाहर कर दिया l

दूसरी वैधानिक-शिकायत भी निरस्त: ए ऍफ़ टी बार एसोसिएशन के महासचिव विजय कुमार पाण्डेय ने मीडिया को बताया कि चयन-समिति के परिणाम से असंतुष्ट याची ने 7 मार्च पर 2 नवम्बर को भारत सरकार के समक्ष वैधानिक शिकायत की जिस पर 9 फरवरी 2017 को दूसरी चयन समिति बनी लेकिन परिणाम सूची में याची का नाम शामिल नहीं किया नहीं आया तो भारत सरकार के समक्ष दूसरी वैधानिक-शिकायत की लेकिन इसे भी निरस्त कर दिया गया l

मुकदमा ही अंतिम विकल्प: विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि कर्नल सुरजीत बसु के समक्ष सेना कोर्ट के सामने मुकदमा दायर करने के अतिरिक्त कोई विकल्प शेष न था इसलिए उन्होंने सेना मामलों के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता आर चन्द्रा के माध्यम से वाद दायर किया जिसमें उन्होंने तीन बिंदु प्रमुखता से उठाए पहला यह कि याची की अंतरिम गोपनीय रिपोर्ट नहीं भेजी गई दूसरा वरिष्ठ रिव्युइंग अधिकारी के रूप में कार्यरत व्यक्ति ने 2011 की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में कम अंक दिए वहीँ उसी व्यक्ति ने उच्च-तकनीकी अधिकारी के रूप में उच्च अंक दिए तीसरा शिकायती-पत्र का उत्तर विस्तृत तरीके से नहीं दिया गया l

आर चन्द्रा ने की जोरदार बहस: विजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि सेना कोर्ट में सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता आर चन्द्रा ने याची का पक्ष जोरदार तरीके से रखते हुए कहा कि एक ही अधिकारी अलग-अलग अंक नहीं दे सकता जबकि वह एक ही व्यक्ति का मूल्यांकन कर रहा हो लेकिन हमारे मुवक्किल के मामले में ऐसा किया गया जो किसी भी रूप में विधिक नहीं है अदालत ने सेना की अधिवक्ता अपोली श्रीवास्तव से पूंछा कि आखिर एक ही व्यक्ति द्वारा एक व्यक्ति का मूल्यांकन अलग-अलग क्यों ? इस उन्होंने सेना के आदेश का हवाला दिया जिसे सेना कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया और कहा कि यह तो आर्मी आर्डर 1/2010/DGMS के विरुद्ध है जिस पर जवाब दिया गया कि माडरेटर ऐसा कर सकता है लेकिन याची के वरिष्ठ अधिवक्ता आर चन्द्रा ने एस रामचंद्र राजू एवं यमुना शंकर में दी गई उच्चतम-न्यायलय में दी गई व्यवस्था का उदाहरण दिया जिसे कोर्ट ने मान लिया और कहा यह तो जिओपार्डी है l

यांत्रिक-मूल्यांकन नहीं किया जा सकता: सेना कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने यमुनाराम के मामले में कमियों के सुधार और अनुशासन को शामिल करने को कहा है और पोटेंशियल वैल्यू तो विभिन्न मानकों के विश्लेषण से तय किया जाता है न कि यांत्रिक-मूल्यांकन से सेना कोर्ट ने कहा कि एस टी रमेश मामले में सुप्रीम-कोर्ट ने अवधारित किया है गोपनीय रिपोर्ट मानव का संसाधन के रूप में विकसित और मुल्क्यांकित करने का एक तरीका है न कि कमिया निकालने का औजार या माध्यम जबकि सेना की मिलिट्री सेक्रेटरी की ब्रांच नें गोपनीय रिपोर्ट से संबंधित नियम एवं उपबंध जारी किया है जिसका अनुपालन नहीं किया गया जिसके पैरा 36 में पेन पिक्चर का उल्लेख है l

पेन पिक्चर: नियुक्ति से संबंधित संवेदनशील विश्लेषणों का उद्घाटन पेन पिक्चर करता है जिसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है जबकि इस मामले पेन पिक्चर का उल्लंघन किया गया सेना कोर्ट ने कहा कि वैधानिक प्रावधान, शब्द और भाषा  को न तो तोड़कर पढ़ा जा सकता है और न उसमें कुछ जोड़ा जा सकता है, जब कि वह पूरी तरह स्पष्ट हो स्पष्ट हो जो एम् सी डी बनाम कीमत राज गुप्ता, मोहन बनाम महारष्ट्र राज्य, टेलर, नाजिर अहमद,  और कर्नाटक स्टेट फायनेंसियल कारपोरेशन बनाम एन नरर्सिम्हैया में उच्च-न्यायालय ने कहा हैl

कार्यवाही के पहले कारण बताना अनिवार्य: सेना कोर्ट ने कहा कि बगैर कारण बताए किसी के विरुद्ध कार्यवाही की अनुमति किसी को भी नहीं प्राप्त है लेकिन याची के प्रकरण में भारत सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया गया  जो के आर देब, आसाम राज्य बनाम जे  एन रॉय बिस्वास, पंजाब राज्य बनाम कश्मीर इत्यादि के विपरीत है याची के मामले में मनमानी कार्यवाही की गई इसलिए भारत सरकार के सभी आदेश निरस्त करके पुनः याची के मामले को बोर्ड बनाकर देखे जाने का आदेश तीन माह के अंदर सेना कोर्ट ने जारी कियाl

https://www.youtube.com/watch?v=PBLx74WM1t8


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