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सेवा शुल्क के बिना मरीज का इलाज होना मुश्किल, गोरखपुर के जिला महिला अस्पताल का हाल
अवधनामा ब्यूरो
गोरखपुर। पूरे प्रदेश की अफसरशाही पर लगाम लगा देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने शहर गोरखपुर में हनक अभी कायम नहीं हो पा रही है। खासकर स्वास्थ्य विभाग अभी भी अपने पुराने ढर्रे पर कायम है। रविवार को शहर में योगी की मौजूदग के बावजूद जिला महिला अस्पताल में डॉक्टर की मांग पूरी न कर पाने वाले मरीजों को बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। गोरखपुर के जिला महिला अस्पताल की हालत ये है कि यहाँ बिना सेवा शुल्क के मरीज का इलाज होना असंभव है। यहाँ यह फर्क नहीं पड़ता की आपका रुतबा क्या है बल्कि यहाँ आपके मरीज़ का इलाज इस बात पर निर्भर है कि डॉक्टर साहब का मूड क्या है और उनकी डिमांड क्या है। यदि डॉक्टर साहब का मूड सही रहा और उनको अपने नज़राना दे दिया तब तो आपके मरीज़ का इलाज हो जायेगा वरना आपको यहाँ से मेडिकल कालेज या किसी प्राइवेट अस्पताल के लिए प्रस्थान करना ही पड़ेगा।
गरीबों के इलाज के लिए सरकार द्वारा नियुक्त किये गए यहाँ के डॉक्टर रूपी भगवानों की निगाह आने वाले मरिजों के तीमारदारों की जेबों पर ही रहती है। हालाँकि यहां तैनात सभी डॉक्टर एक जैसे नहीं हैं। ताज़ा घटनाक्रम रविवार की सुबह का है जब यहां तैनात निश्चेतक डॉ नीरज ने लगातार तीन मरीजों को मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। उसमें से दो मरिजों के परिजनों ने तो मोल भाव कर लिया लेकिन पूर्णिमा मद्धेशिया के परिजन डॉक्टर नीरज से मोल भाव करने में सफल नहीं हो सके। पूर्णिमा के पति पवन को डॉक्टर ने बताया कि पैरों में थोड़ी सूजन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाने के कारण ऑपरेशन नहीं हो सकता, जबकि पूर्णिमा का इलाज कर रही डॉक्टर साहिबा सिद्दीकी ने डिलेवरी करा देने की बात कही थी। इसके बाद मजबूर होकर पूर्णिमा मद्धेशिया को उसके परिजन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने हालत सामान्य बताते हुए उसकी नॉर्मल डिलीवरी कराई और एक बच्ची का जन्म हुआ। मेडिकल कॉलेज में भर्ती पूर्णिमा और उसकी बच्ची दोनों अब स्वस्थ हैं । बहरहाल जहां एक तरफ पैसे की लालच में निश्चेतक डॉ0 नीरज ने मरीज की गंभीर हालत बताई और मरीज़ को रेफर कर दिया वही बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नॉर्मल डिलीवरी ने जिला महिला अस्पताल के ऊपर एक प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया। बताते चलें कि यह जिला महिला अस्पताल का कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले चौरी चौरा से आई पूनम गुप्ता को भी इसी तरह मेडिकल कालेज भेजा गया था। अस्पताल के अधीक्षक डॉ0 ए0के0 गुप्ता को इन सारे कारनामो की जानकारी है लेकिन वो मौन हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री के शहर में गरीब मरीजों से धनादोहन का यह कारोबार कब तक चलता है और इस पर जिम्मेदार क्या कार्यवाही करते हैं।
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