पिपराईच सोलर घोटाला
2.53 करोड़ का हुआ ठेका
20 प्रतिशत कम में काम करने वाली सरकारी संस्था को नहीं मिला काम
100 रु0 के स्टाम्प पर हुआ 2.53 करोड़ के काम का अनुबंध
जाँच के दौरान किया गया 6399750 रु0 का भुगतान
मनव्वर रिज़वी
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गोरखपुर। 2 करोड़ 53 लाख का टेंडर हुआ, सरकारी संस्था केंद्रीय भण्डार ने 20 प्रतिशत कम पर कार्य करने की सहमति दी जबकि एक प्राइवेट मैं0 जैक्सन इंजीनियरिंग ने केवल 0.005 प्रतिशत कम पर कार्य करने की सहमति दी और उनका टेंडर फ़ाइनल भी कर दिया गया। अब आते हैं अनुबंध पर ,तो आपको जानकार हैरानी होगी की लगभग ढाई करोड़ के कार्य का अनुबंध सिर्फ सौ रुपये के स्टाम्प पर करा लिया गया। हम बात कर रहे हैं नगर पंचायत पिपराईच के बहुचर्चित सोलर प्लांट की । बताते चलें कि पिपराईच क़स्बा में सोलर लगाने के लिए नियम कानून ताक पर रख दिए गए। आधे से भी कम काम हुआ और कार्यदायी प्राइवेट फर्म को रु0 – 18900421 का भुगतान कर दिया गया। बड़ी बात यह है कि इसमें से रू0- 6399750 का भुगतान दिनांक 02.11.2016 की किया गया जब सोलर की जाँच चल रही थी। अब तो यह उच्च अधिकारी ही बता सकते हैं कि जाँच के दौरान 63 लाख का भुगतान क्यों किया गया। जबकि 2 नवम्बर 2016 से पहले ही फाइल जाँच में चली गई थी, अब बिना एमबी के भुगतान कैसे हो गया जबकि फाइल नगर पंचायत कार्यालय में थी ही नहीं।
इसके अलावा जब सोलर का प्रपोजल बना था तो सोलर पैनल को कहाँ और कैसे लगाया जायेगा इसकी कोई रूपरेखा नहीं बनाई गई। आनन फानन में सोलर पैनल को लगाने के लिए 80 लाख के नए भवन निर्माण का ठेका भी कर दिया गया और नया भवन बनाने के लिए पहले से मौजूद भवन के एक हिस्से को गिरा दिया गया ।
बहरहाल तत्कालीन ईओ अवधेश वर्मा व चेयरमैन बेचना देवी पर ये आरोप लग रहा है कि इन्होंने जनता के साथ साथ सरकारी पैसों का भी दुर्पयोग किया है। बताते चलें कि नगर पंचायत पिपराईच के ईओ का कार्यभार पहले अवदेश वर्मा के पास था और यह संयुक्त रूप से सहजनवां और पिपराईच दोनों के ईओ थे। सहजनवां में भी थाने के बगल में लगभग 98 लाख का गड्ढा इन्ही ईओ साहब के कार्यकाल में खोदा गया जिसकी जांच अभी तक लंबित है।
फिलहाल पिपराईच सोलर घोटाले की आग किन किन अधिकारियों का दामन जलाती हैं यह देखने वाली बात होगी।
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