सी जे आई को खुद जाँच के लिए हामी भरना चाहिए ?

0
96
काज़िम रज़ा शकील 
 

भारत के संविधान और निष्पक्षता के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश का निष्पक्ष होना अहम है। इसी के साथ देश की जनता और मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अदालत पर देश के हर नागरिक को भरोसा होता है और अदालत का काम होता है कि आरोपित को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दे। अगर किसी सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति पर कोई दोष लगता है और उसका दबदबा है तो अदालत अपनी भूमिका निभाते हुए उसके खिलाफ जांच का आदेश देती है, यही उसकी निष्पक्षता और देश के प्रति जिम्मेदारी दर्शाता है। लेकिन जिस तरह से कुछ समय से अदालत खासकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर आरोपों की झड़ी लगी है, उससे देश की जनता में निराशा है।

विपक्षी दलों का कर्तव्य सत्ता पक्ष को उसकी गलतियों और कमियों की तरफ ध्यान दिलाना है। अगर विपक्ष मजबूती के साथ जनता के मुद्दे नहीं उठाएगा तो हिटलरशाही जैसी व्यवस्था हो जाएगी, जिसमें विरोध बर्दाश्त नहीं किया जाता। ऐसे में अगर विपक्षी दल के सांसद मुख्य न्यायाधीश पर ही आरोप लगाने लगें और जनता में इस बात की चर्चा होने लगे कि न्यायपालिका भी सरकार की हां में हां मिला रही है तो न्यायपालिका को अपने ऊपर लग रहे आरोपों की जांच कराने की हामी भरते हुए देश की जनता का विश्वास कायम रखना चाहिए। अगर सत्ता पक्ष आरोपित अधिकारी के पक्ष में ही खड़ा नजर आने लगे तो सवालिया निशान अपने आप लग जाता है। कांग्रेस महाभियोग के मुद्दे पर सोमवार से शुरू हो रहे संविधान बचाओ अभियान  में मुख्य रूप से उठाने को तैयार नजर आ रही है, जबकि सत्तापक्ष महाभियोग का विरोध कर रहा है। शायद वित्तमंत्री वर्ष 2009 में जस्टिस के खिलाफ महाभियोग को लेकर मीडिया से मुखातिब हुए थे और अब उन्हें यह गलत लग रहा है, क्योंकि वे सत्ता में हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिसम्बर 2009 में जस्टिस दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के साथ मीडिया को सम्बोधित किया था। एक अन्य नेता विवेक तन्खा ने सीजेआई को अपने ऊपर लग रहे आरोपों के लिए खुद जांच बिठाने का सुझाव दिया। सिर्फ कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों के महाभियोग की मांग को नजर अंदाज भी कर दिया जाए तो मुख्य न्यायाधीश को उन चार न्यायाधीशों की बात पर ही ध्यान देना चाहिए, जिनके आरोपों के बाद न्यायपालिका के प्रति जनता के विश्वास में थोड़ी कमी आयी है। ऐसे में जरूरी है कि सीजेआई को खुद जांच के लिए तैयार होकर जांच कराना चाहिए, ताकि जनता का विश्वास न्यायपालिका में बना रहे और सच्चाई देश के सामने आ सके। अगर यह मुद्दा जनता सड़कों पर ले आयी तो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगेंगे जो वैश्विक स्तर पर भारत की छवि धूमिल करेगा। वहीं कांग्रेस एक कदम और बढ़ते हुए इशारा किया है कि सभापति द्वारा सी जे आई के खिलाफ महाभियोग की मांग ठुकराए जाने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे ऐसे में अदालत का क्या फैसला होगा इस पर भी सबकी नजऱें टिकी रहेंगी। ,
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here