सीएम के शहर में जिला अस्पताल का है बुरा हाल

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सोई संवेदना, सोया शासन और प्रशासन
सीएम के शहर में जिला अस्पताल का है बुरा हाल
          
गोरखपुर । जिला अस्पताल में दर्द से कराहते मरीज और उनके परिजनों की आँखों से बेबसी के बहते आंसुओं का यहाँ कोई मोल नही । एक तरफ प्रदेश सरकार मरीजों को सुविधाएं देने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रही है वहीं स्थानीय स्तर पर लापरवाही के कारण बीमारों को अच्छा इलाज व सुविधाएं देने की सरकारी मंशा फ्लॉप शो साबित हो रही है। बात बर्न वार्ड की करें तो यहाँ स्थिति सबसे ज्यादा ख़राब है। पिछले कई हफ़्तों से इस वार्ड में एसी नहीं चल रहा है जिससे जले हुए मरीजों के ज़ख्म उनकी तकलीफ को और ज़्यादा बढ़ा दे रहे हैं। जबकि अस्पताल के कई गैर जरूरी हिस्सों एसी धड़ल्ले से चल रहे हैं लेकिन बर्न वार्ड के तीमारदारों को अपने मरीज के लिए अलग से पंखों का इंतेज़ाम करना पड़ रहा है। 
बात यहीं पर खत्म नहीं होती, सीएम के जिले के इस प्रमुख अस्पताल में कई जरुरी दवाओं की भी कमी है। अब तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अल्ट्रासाउंड में इस्तेमाल होने वाला जेल, ईसीजी में इस्तेमाल होने वाला पेपर रोल, सीटी स्कैन की प्लेट, एक्सरे प्लेट के अलावा और भी बहुत से जरुरी सामान यहाँ खत्म हो चुके है या खत्म होने की कगार पर हैं जिसका खामियाजा दूरदराज़ से आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। 
अस्पताल प्रशासन की सुस्ती का आलम ये है कि अब निजी पैथालॉजी व दवा की दुकानों के दलालों को परिसर में गरीब मरीजों को अपना शिकार बनाते हुए कही भी देखा जा सकता है। इमरजेंसी के सामने प्राइवेट एम्बुलेंस भी पहले की तरह नज़र आने लगी है जो यहाँ आये मरीजों को सस्ते और अच्छे इलाज का झांसा देकर प्राइवेट अस्पतालों में ले जा रहे हैं और इन पर रोक लगाने वाला कोई नही है। कुल मिलाकर सीएम के शहर में चिकित्सा व्यवस्था भगवान् भरोसे नज़र आ रही है।
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