बदन पर नहीं था एक भी कपड़ा कंबल से खुद ओढ़े थी

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बदन पर नहीं था एक भी कपड़ा कंबल से खुद ओढ़े थी  
प्रधानमंत्री द्वारा चलाये गए अभियान खासकर महिलाओं की हित में,उनकी सुरक्षा,देख रेख,शिक्षा तथा किसी भी प्रकार की  महिलाओं को दिक्कत न हो इसके लिए जागरूक अभियान के तहत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गयी है। यह अभियान खासकर उन महिलाओं तक सिमित है जिसके यहाँ बेटिओं की क़द्र व सहारे मंद जैसे लोग है।  पर उनका क्या जिन महिलाओं का कोई सहारा न हो शिक्षा की बात छोड़िये यहाँ तक कि पेट पालने के लिए भी पैसे न हो। सोचिए क्या होता होगा उन महिलाओं का। 
कुछ ऐसी ही वे-सहारा बेबस महिला व राजधानी लखनऊ में देखने को मिली जिसके शरीर पर एक कम्बल के सिवाय कुछ भी नहीं था।  
लोग कहते है जिनका  कोई सहारा नहीं होता  उनका ईश्वर सहारा होता है। शायद ईश्वर के रूप में ही सही पर वहाँ पर पत्रकार बंधू मौजूद रहे है खासकर इन पत्रकार में बृजेन्द्र बहादुर मौर्या ,अंजलि समेत अन्य पत्रकार बंधू व समाज सेविका के रूप में महूआ चटर्जी ,सुमन रावत व अन्य लोग  मौजूद रहें। 
पत्रकार के रूप मौजूद बृजेन्द्र बहादुर मौर्या बताते है कि लखनऊ हजरतगंज चौराहे पर एक लड़की दिखी जिसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं था। तक़रीबन लड़की की उम्र 17 या 18 वर्ष की रही होगी। वहां देखा की कुछ लोग  समाजसेवियों को फोन कर रहे थे ताकि उस लड़की को सही जगह पहुंचाया जा सके।लड़की पूरी तरह से अस्त व्यस्त हालत में थी लड़की के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था।
आगे बताते है कि  वह लड़की रोड क्रॉस कर के छंगामल दुकान के बगल में जाकर खड़ी हो गई थी। इसी बीच हमारा एक पत्रकार बंधु वहां गया था फोटो लेने ताकि सोसल मिडिया के जरिये खबर बनाकर चलाने पर कुछ लोग उसकी मदद को आ सके। लड़की से जब उसके बारे में पूछा गया तो सिर्फ यह कह रही थी 100 500 पकड़ा देते हैं 100 500 पकड़ा देते हैं।इस तरीके से उसकी जुबान से बात निकल रही थी।मैंने पूछा तो उसने बताया कि मैं बनारस से आई हूं टूटे फूटे शब्दों में बोल रही थी.
आगे बताते है कि मैंने समाज सेविका सुमन रावत को फोन किया जो कि पावर विंग फाउंडेशन की प्रेसिडेंट हैं उन्हों ने तत्परता दिखाते हुए उस लड़की की मदद करने की बात कही, आगे अंजलि पांडेय को फ़ोन किया और जानकारी दी।उसके बाद महुआ चटर्जी को फोन किया वह कपड़े लेकर आई सबसे पहले बातचीत करने के बाद उसको कपड़े पहनाया गया कपड़े पहनने के बाद बिल्कुल अलग सी नजर आने लगी है। उम्मीद संस्था के लोग भी पहुंचे|
मौर्या ने बताया की पुलिस प्रशासन व समाज सेविका के साथ मिलकर हम सभी ने उसको सुरक्षित जगह पहुंचाया और पुलिस में रजिस्टर भी करवाया था कि हर तरह से उस बिटिया की मदद हो सके।
उम्मीद संस्था ने मानसिक रूप से विछिप्त महिला को सुरक्षित जगह पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाई |
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