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जब तक अदब रहेगा अनवर जलालपुरी जिंदा रहेंगे
सरकार उनके नाम को जिंदा रखे : राज्यपाल
लखनऊ। बड़े शौक से सुन रहा था जमाना हमी सो गये दास्ता कहते-कहते। कुछ यही कैफियत आज यहां कैफी अकादमी में थी जहां मशहूर शायर, दानिश्वर व नाजिम अनवर जलालपुरी के निधन पर शोक सभा में वक्ताओं की हालत थी। सभी वक्ताओं ने कहा कि जब तक अदब जिंदा रहेगा तब तक अनवर जलालपुरी का नाम भी जिंदा रहेगा। समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि वह प्रयास करेंगे कि प्रदेश सरकार उनकी याद को जिंदा रखने के लिए कोई काम करें। शोक सभा का आयोजन उर्दू राइट्र्स फोरम ने किया था।
राज्यपाल ने कहा कि अनवर जलालपुरी के चले जाने से पूरा शहर रोने लगा। उन्होंने कहा कि जब तक गीता व गीतांजली दुनिया में रहेगी तब तक अनवर जलालपुरी का नाम रहेगा। कहा कि अनवर जलालपुरी के पास शब्दों की जो ताकत थी वह किसी के पास नहीं। कहा कि अभी नये साल के जश्न का खुमार भी नहीं उतरा था कि उनके निधन का समाचार सुन्ने को मिला। राम नाईक ने कहा कि एक समारोह में मेरे बारे में जो कुछ उन्होंने कहा कि वह मेरी पत्नी को इतना अच्छा लगा कि उन्होंने कहा कि आप के बार ेमें आज तक किसी ने इतना अच्छा नहीं बोला।
उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि अनवर जलालपुरी के नाम पर कुछ हो। कहा कि मैं उनका व्यक्तिगत रुप से मुरीद था। जब वह बोलते थे तो उर्दू का प्यार उमड़ कर आता था। उनकी रचनाएं कभी उनको मरने नहीं देगी। पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डा.अम्मार रिजवी ने प्रदेश सरकार से मांग की कि जलालपुर में उनका कायम किया हुआ मिर्जा गालिब इंटर कालेज को डिग्री कालेज बनाया जाये। कहा कि अनवर जलालपुरी कभी मर नहीं सकते।
प्रो.फजले इमाम ने कहा कि अनवर जलालपुरी एक शख्स नहीं बल्कि शख्सियत थे। वह कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा बात कह देते थे। उनमें एक नहीं अनेक खूबियां भी थी।
पर्यटन मंत्री डा.रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि जब तक साहित्य रहेगा तब तक अनवर जलालपुरी का नाम रहेगा। हमारे बीच से वह लोग एक-एक करके जा रहे हैं जो हमें रास्ता दिखाते थे।
प्रो.शरिब रुदौलवी ने कहा कि अनवर जलालपुरी के निधन से हिंदुस्तानी अदब का नुकसान हुआ। वह बहुत अच्छे शायर के साथ बहुत ही अच्छे नामिज भी थे। कहा कि गीता का पहले भी ७० बार उर्दू में अनुवाद हुआ लेकिन अनवर जलालपुरी ने उसका अवाम की जबान में अनुवाद किया। मलिकजादा परवेज ने कहा कि उनके निधन से लगा कि आज मैं दोबारा यतीम हो गया। वह बड़े शायर के साथ बड़े नाजिम भी थे। डा.हरि प्रकाश ने कहा कि उर्दू मैं आज जो कुछ हू वह अनवर जलालपुरी की ही देन है। उन्होंने एक शेर पढ़ा।
जब से मुझे उर्दू से मोहब्बत हो गयी
मेरी हिंदी खुबसूरत हो गयी। शायर हसन काजमी ने अपने ४०साल के साथ का जिक्र किया। सभा का संचालन डा.अब्बास रजा नैय्यर जलालपुरी ने बेहतरीन अंदाज में किया। समारोह को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। अंत में उर्दू राइट्र्स फोरम के संयोजक सैयद वकार रिजवी ने सभी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि वह आसमान पर थे फिर भी अपनी जमीन से जुड़े थे। शोक सभा में उर्दू-अरबी-फारसी यूनिवॢसटी के कुलपति प्रो. माहरुख मिर्जा. दूरदर्शन के पूर्व निदेशक विलायत जाफरी व बड़ी संख्या में साहित्यकार व बुद्धजीवि उपस्थित थे।