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एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का दलितों के बीच प्रभाव उत्तर प्रदेश के बाहर गुजरात तक दिख सकता है, जहां वह कोली समुदाय से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं। गुजरात की जनसंख्या में कोली समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 18 से 20 फीसदी की है। कोविंद के राष्ट्रपति बनने से गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिल सकता है।
अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष के तौर पर कोविंद गुजरात में कोली समुदाय के संपर्क में रहे हैं। वह कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आने वाला कोली समुदाय गुजरात के सौराष्ट्र में 18 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसके अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में भी इस समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या है।
बीजेपी ने गुजरात के साथ कोविंद के जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा है, ‘रामनाथ कोविंद गुजरात के कोली समाज से पिछले 15 वर्षों से जुड़े हैं। वह पिछले सप्ताह बागोदरा, सुरेन्द्रनगर और गोंडल गए थे। कोली समाज के विभिन्न कार्यक्रमों में भी कोविंद मौजूद रहे हैं। इससे पहले उन्होंने जूनागढ़, प्राची और सोमनाथ में कोली समाज के बड़े आयोजनों में अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष के तौर पर हिस्सा लिया था। वह गुजरात में बहुत से गांवों में जा चुके हैं।’
गुजरात में कोली समुदाय के मतदाताओं का समर्थन मिलना बीजेपी के लिए एक बड़ी राहत होगी। पार्टी के परंपरागत समर्थक माने जाने वाले पाटीदार मतदाता ओबीसी कोटा के लिए आरक्षण से जुड़े मुद्दे पर पार्टी से काफी नाराज हैं।