हाथी दांत साबित हो रहा है मिनी वाटर टैंक
क्रसार- खूब हुई मनमानी ,जिम्मेदार बने रहे अनजान
जेई प्रभावित गांव में हकीकत से दूर योजना

अशोक त्रिपाठी
अवधनामा ब्यूरो
सिद्धार्थनगर बांसी । खेसरहा ब्लाक मे जेई/एईएस गांवो में जल जनित बीमारियों के फैलाव को रोकने के उद्देश्य से शासन की मंशा पर जल निगम द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में मिनी पेयजल योजना के तहत मिनी वाटर टंकी निर्माण कराया गया। निर्माण कार्य में ठेकेदार ने खूब मनमानी की,और मानक को जमकर धज्जियां उड़ाई गई बावजूद इसके जिम्मेदार इसके प्रति अंजान बने हैं। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी प्रभावित गांवो में शुद्ध पेयजल मुहैया नहीं हो सका है।
मिनी पेयजल योजना अंतर्गत खेसरहा क्षेत्र में करीब दो दर्जन मिनी वाटर टैंक का निर्माण कराया गया।ढाई से पांच भाई लीटर वाले टैंक के लिए 1.60 लाख रुपये से लेकर ढाई लाख रुपए खर्च किये गऐ। निर्माण के प्रारंभिक दौर में ही ठेकेदार ने मन मुताबिक कार्य कराया ।निर्धारित 250 फिट बोरिंग की जगह 100से 125 फिट पर बोरिंग कराई दी गई। पाइप लाइन वा पंप में भी खेल किया गया। नहीं कहीं बोरिग नही तो कही प्लास्टर तक नही कराया गया। विद्युत लाइन से भी कुछ अधूरे हैं ।बनकटा सुवहीकनपुरवा, मरवटीया ,सवाडाड ,बेलवालगुनही, मुजडीह, झहरांव, बत्सा था कुर्थीया दो दर्जन जेल प्रभावित गांवों में मिनी टैंक का निर्माण कराया गया, परंतु एक – दो को छोड़ कोई भी योजना की हकीकत का रूप नहीं ले सका है। मानक के विपरीत हुई कार्य से कहीं पंप ध्वस्त है तो कहीं लाइन गड़बड़ है ।कम बोरिग की वजय से शुद्ध पेयजल ही नहीं निकल रहा है।बेलवालगुनही का रामबेलास मिश्रा रूआब आली का कहना है कि उनके यहां जब से मिनी टैक बना एक बूंद पानी नसीब नही हो सका ।टोटी भी टूट गई कोई जिम्मेदार मौके पर वस्तु स्थिति देखने तक नही आया।यदि जिला स्तरीय टीम से जांज कराई जाए तो तमाम अनियमितता सामने आ सकती है।





