कलकत्ता के हाथ रिक्शा चालकों के दर्द को बयां करेगी प्रज्ञेश की नयी डाक्युमेंटरी

0
203
लखनऊ। हाल ही में कई पुरस्कार बटोरने वाली शॉर्ट फिल्म ‘छोटी सी गुजारिशÓ के निर्देशक प्रज्ञेश सिंह, कोलकाता के हाथ रिक्शा पर अपनी वृत्तचित्र (डाक्युमेंटरी) को लेकर एक बार अपने दर्शकों को झकझोरने के लिए तैयार हैं।
वृत्तचित्र (डाक्युमेंटरी) का नाम ‘दासता की विरासतÓ रखा है और यह वृत्तचित्र अंग्रेजों के समय से जारी जानवरों की जगह इंसानों के उपयोग की कुप्रथा का वर्णन करेगा। यह फिल्म जॉय ऑफ सिटी के नाम से मशहूर कलकत्ता में होगी।  इसका आंशिक फिल्मांकन बिहार झारखंड और उत्तराखंड में भी किया जाएगा। यह वृत्तचित्र इंसानियत के कडवे पहलू का मंथन करता है जिसे कोलकाता की सड़क पर विरासत के रूप में संरक्षित किया गया है।
प्रज्ञेश सिंह का कहना है कि एक ओर जहां देश से सिर पर मैला ढोने, बालविवाह, बालश्रम, दहेजप्रथा एवं सती प्रथा जैसे तमाम अमानवीय प्रथाएं कानून बनाकर बंद कर दी गईं, वहीं कोलकाता शहर ने सदियों से हाथ रिक्शा को विरासत के रूप में संरक्षित रखा है। कुछ लोग और संगठन इस अमानवीय और गैर लोकतांत्रिक आचरण के लिए विरासत की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मुद्दे पर बात करते हुवे प्रज्ञेश सिंह कहते है की विरासत वह है हमें जिस पर गर्व हो, उत्तराधिकार में मिली प्रत्येक चीज विरासत नहीं होती, विरासत में इन्सानी मूल्यों  पर खरा उतरने की सामथ्र्य होनी चाहिए। जो भी लोकतंत्र पर दाग के रूप में हो, उसे विरासत के रूप में कतई नहीं माना जाना चाहिए, वृत्तचित्र का नाम स्वयं में ही इस मुद्दे की संवेदनशीलता को स्पस्ट करता है । उन्होंने आगे कहा कि यह वृत्तचित्र इन रिक्शा चालकों तक सीमित नहीं है, लेकिन यह समाज में सामंतवाद के अस्तित्व वाली मानसिकता का परिचायक है। लखनऊ के 42 वर्षीय प्रज्ञेशसिंह में सामजिक संदर्भों को पहचानने की जो क्षमता है वह अन्य फिल्म निर्माताओं से उन्हें अलग करती है।
 द्य अपनी पिछली लघु लघु फिल्म से अपनी सामजिक मुद्दे को भावनात्मक चेन में विकसित करने की क्षमता का लोहा मनवा चुके  प्रज्ञेश सिंह की लघु फिल्म छोटी सी गुजारिश 12 अवार्ड जीत चुकी है और वर्तमान में कांस में शोर्ट फिल्म कार्नर में है।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here