राम लला टाट में और नेता ठाठ में 

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भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है संतों की नाराज़गी 
सय्यद काज़िम रज़ा शकील 
राम लला हम आएंगे मंदिर वहीँ बनाएंगे का नारा लगाने वाले आर एस एस और भाजपा नेताओं के लिए अब राम लला टाट में और नेता ठाठ में  का नारा मुश्किल खड़ी कर , हिंदूवादी नेता की छवि बनाकर गुजरात के सी एम से हिंदुस्तान के पी एम तक सफर तय कराने  वाली आर एस एस के लिए अब 2019 के लिए प्रयागराज में चलरहे कुम्भ में आयोजित हुए धर्मसंसद में मोदी और भाजपा के लिए समय भी देने को साधु संत तैयार नहीं हुए और संघ प्रमुख मोहन भागवत को आशा के विपरीत विरोध का सामना भी करना पड़ा।  धर्मसंसद मोहन भगवत के सामने धर्म संकट की तरह सामने आया और इसमें साधुओं और संतों को विरोध करने पर ढकेलना तक पड़ा जिससे स्थिति और विकट हो गयी।  राजनैतिक विशेषज्ञ मनोज तिवारी के अनुसार कुम्भ का आयोजन जिस मक़सद के तहत कराया गया था वह असफल होता जा रहा है 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि कुछ मजबूरियां बता कर मंदिर के नाम पर फिर से माहौल बनाते हुए वोट की राजीनीति की जाएगी जिसके पर्दे के पीछे की ज़िम्मेदारी विश्व हिन्दू परिषद और संघ को दी गयी धर्म संसद का आयोजन भी इसी कड़ी का आयोजन था लेकिन पासा उल्टा पड़ गया अब संत और श्रद्धालु तारिख पर तारिख नहीं निर्माण चाहते हैं क्यूंकि तारिख तो अदालत से मिल ही रही है सरकार ने भी ऐसे भ्रमित किया की वह अदालत और संविधान से ऊपर उठकर है और वह मंदिर निर्माण करा देगी लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा इसलिए इनका विरोध शुरू हो गया।
आज कुम्भ में दिगंबर अखाडा के महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा की तरफ से आयोजित संतों के मन की बात कार्यक्रम में केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला और 24 दिन का अल्टीमेटम देते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने तो आने वाली 21 फरवरी को ही राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच की तैयारी कर ली है। बड़ी संख्या में संत महंत उनके साथ अयोध्या पहुंचकर रामलला मंदिर परिसर में शिलान्यास करेंगे। उल्लेखनीय है कि मंदिर निर्माण के लिए संतों ने कई जगह राम नाम संकीर्तन भी शुरू कर दिया है। कम्प्यूटर बाबा ने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा की मोदी और योगी को राम मंदिर निर्माण के लिए सत्ता में लाये थे लेकिन मंदिर निर्माण तो दूर इनको राम का नाम लेने में भी शर्म आने लगी है मन की बात में संघ और भाजपा को भी आड़े हाथों लिया गया।
राजनैतिक विश्लेषक अली ताहिर के अनुसार भाजपा जब मंदिर निर्माण के वादे को निभाने में असफल हो गयी तो अब वह कांग्रेस से ही पूछने लगी कि वह बताये राम मंदिर कब बनाएगी सत्ता में भाजपा और मंदिर निर्माण की तारिख कांग्रेस से पूछना हास्यस्पद है जनता भाजपा के बयान से सब समझ  गयी लोगों में शिलान्यास , भूमि अधिग्रहण , ताला खुलवाने की बात की भी चर्चा होने लगी इन सबमे कांग्रेस का ही रोल रहा यह सब भाजपा के लिए और मुसीबत बनता जा रहा है अली ताहिर के अनुसार  राम लला हम आएंगे मंदिर वहीँ बनाएंगे “बनाम” राम लला टाट में और नेता ठाठ में  का नारा अवश्य ही कुछ रंग लाएगा क्यूंकि अब देशवासी इस मुद्दे को खत्म करना चाहता है वह चाहता है देश में रोज़गार , विकास हो जो ऐसे मुद्दी के रहते सम्भव नहीं।  रोज़ रोज़ खराब होती कानून व्यवस्था और प्रश्न चिन्ह लगा रही है। जब कोई सुरक्षित नहीं रहेगा तो मंदिर में पूजा करने और मस्जिद में नमाज़ पढ़ने कौन जायेगा।
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