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देश में इन दिनों स्वाइन फ्लू कहर बरपा रहा है। स्वाइन फ्लू की वजह से देशभर में कई लोगों की मौत हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में स्वाइन फ्लू का असर देखा जा रहा है। अकेले उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू की वजह से लगभग 21 लोगों की जान जा चुकी हैं। मेरठ में स्वाइन फ्लू के अबतक 78 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं गुजरात में अबतक स्वाइन फ्लू से 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की स्वाइन फ्लू जांच लैब में मेरठ और सहारनपुर मंडल से जांच के लिए हर रोज 50 से ज्यादा सैंपल पहुंच रहे हैं। मेरठ मंडल में स्वाइन फ्लू की वजह से अभी तक 16 लोगों की मौत हो चुकी हैं जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जिन इलाकों में स्वाइन फ्लू के मरीज मिल रहे हैं, उनके आसपास सर्वे कराकर बुखार के मरीजों की तलाश की जा रही हैं। इन मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं। वहीं गाजियाबाद में अब तक स्वाइन फ्लू के 74 मामले सामने आ चुके हैं। इस तरह देशभर में स्वाइन फ्लू के चलते लगभग 900 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है।
गुजरात इन दिनों स्वाइन फ्लू की महामारी की मार झेल रहा है। गुजरात में इस साल स्वाइन फ्लू के अब तक करीब 2000 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें 230 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात सरकार ने एक एडवाइजरी भी जारी की है। जिसमें सभी अस्पतालों में वेंटिलेटर ओर टॉमी फ्लू की दवाई का स्टॉक रखने के लिए कहा गया है। इतना ही नहीं सरकार के मुताबिक प्रशासन 5,000 डॉक्टरों की मदद से स्वाइन फ्लू का प्रसार रोकने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। महाराष्ट्र में भी स्वाइन फ्लू जानलेवा साबित हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 13 अगस्त तक 4011 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 404 मरीजों की मौत हो गई।
स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस A से होने वाला इनफेक्शन है। इस वायरस को ही एच1एन1 कहा जाता है। अप्रैल 2009 में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था। तब इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से ये मिलता-जुलता था। दरअसल स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है। आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है। ये बलगम और छींक के सहारे मनुष्य से मनुष्य में फैलती है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा जैसे ही होते हैं जैसे नाक का लगातार बहना, छींक आना, कफ, कोल्ड और लगातार खांसी, मांसपेशियां में दर्द या अकड़न , सिर में भयानक दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान, दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना, गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।
कैसे करें बचाव:
स्वाइन फ्लू के वायरस से बचने के लिए बहुत पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है। बहुत मेहनत भी करने की आवश्यकता नहीं है। बस घरेलू नुस्खों को अपनाकर स्वाइन फ्लू वायरस पर वार कर सकते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि काढ़ा पीकर भी स्वाइन फ्लू के खतरों से बच सकते हैं। लोहिया अस्पताल के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ। एसके पांडेय ने बताया कि स्वाइन फ्लू सांस के जरिए फैलने वाला संक्रमण है। वायरस सबसे पहले सांस की नली पर करता है। गले में दर्द व खराश होने लगती है।
संक्रमण की वजह से मरीज को तेज बुखार आ जाता है। सिर में दर्द व जुखाम आदि की चपेट में मरीज आ जाते हैं। स्वाइन फ्लू संक्रमण से बचने के लिए काढ़ा सबसे फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि तुलसी, इलायची, दालचीनी, पिपली और जराकुश की पत्ती का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। सुबह, दोपहर और शाम को काढ़ा पीने से स्वाइन फ्लू का वायरस पास नहीं फटकेगा। उन्होंने बताया कि काढ़ा शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत पैदा करता है। संक्रमण से बचाता है। साथ ही प्लेटलेट्स काउंट को दुरुस्त रखता है। उन्होंने बताया कि काढ़े की तीन डोज पीने से फर्क नजर आएगा। गुनगुना पानी फायदेमंद सर्दी-जुकाम, बुखार व स्वाइन फ्लू के लक्षण नजर आने पर गुनगुना पानी पिएं। इसमें वायरस से तड़ने की भरपूर ताकत है।
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