यस बैंक में गहराई संकट के बीच आज वित्त मंत्री ने सरकार का पक्ष रखा। मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, संकट में फंसे येस बैंक द्वारा कई बड़ी कंपनियों को 2014 से काफी पहले कर्ज दिया गया था। यह सब पहले से ही सार्वजनिक हैं।
उन्होंने कहा कि मैं इसमें ग्राहक गोपनीयता का उल्लंघन नहीं कर रही हूं। इनमें अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस, वोडाफोन उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं, जिन्हें यस बैंक ने कर्ज दिया था।
उन्होंने कहा कि वह इन नामों का खुलासा इसलिए कर रही हूं, क्योंकि विपक्षी दल उंगली उठा रहे हैं। सीतारमण ने इसके साथ ही यह भी कहा कि यह सब सार्वजनिक है और वह ग्राहकों की निजता का उल्लंघन नहीं कर रही हैं।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं यहां पुरानी कहानियां बताने नहीं आई हूं। 2004-14 के दौरान सत्ता में सरकार ने जैसे काम किया, उसकी वजह से बैंकिंग प्रणाली के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां हैं। उनपर दोष मढ़ने की मेरे पास वजह है।’
सीतारमण ने पी चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा कि दो बैंकों के संकट से निपटने के तरीके पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उस समय स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टर सत्ता में थे, जिन्होंने लगभग डूब चुके यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का 2006 में जबरन आईडीबीआई में विलय कर दिया था।
सीतारमण ने कहा कि आज हमारे सामने आईडीबीआई की सेहत को दुरुस्त करने में समस्या आ रही है। मैं आपको यह उदाहरण बता रही हूं कि कैसे स्वयंभू स्व-नियुक्त सक्षम डॉक्टरों ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का आईडीबीआई में विलय किया।
उन्होंने कहा कि आज यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक की वजह से आईडीबीआई बैठ चुका है। यह उन लोगों की इलाज की वजह से है, जो आज बोल रहे हैं।