Friday, April 26, 2024
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ईरान : हसन रूहानी ने दिया करारा जवाब -सऊदी अरब में घूसकर ड्रोन से हमला, अमेरिका के लिए शर्म की बात

  1. इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने अमरीका की ओर से सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के उल्लंघन की कड़े शब्दों में आलोचना की।

राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने न्यूयार्क में अमरीकी टेलीवीजन एबीसी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि अमरीका ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि परमाणु समझौते से निकलने और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन करने की वजह से अमरीका जवाबदेह है और इस समय गेंद उसी के पाले में है।
उन्होंने क्षेत्र में तनाव बढ़ने और यमन के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि हालात बुरे से बुरे होते जा रहे हैं। ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि समाधान केवल यह है कि तनाव की जड़ों को समाप्त किया जाए।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमले में ईरान के लिप्त होने के आरोपों को निराधार क़रार दिया और कहा कि अमरीका और तीन यूरोपीय देशों को चाहिए कि आरोप लगाने के बजाए, क्षेत्र की निगरानी के लिए उनके पास जो दूर संचार सिस्टम और सैटेलाइट्स हैं, उनको देखें और जो सबूत उनके पास हों उन्हें पेश करें ताकि उनके निराधार दावों और आरोपों के बारे में दुनिया फ़ैसला करे।

डाक्टर हसन रूहानी ने कहा कि अमरीकी सरकार के लिए कितने शर्म की बात है कि उसने सऊदी अरब, कुवैत और संयुक्त अरब इमारात के पैसों से इराक़ और पूरे क्षेत्र में रडार और पैट्रियाट मीज़ाइल सिस्टम सहित विभिन्न प्रकार के उपकरण लगा रखे हैं, इसके बवजूद वह एक मीज़ाइल का पता लगाने, उसको रोकने और तबाह करने में विफल रही हो।

राष्ट्रपति रूहानी ने परमाणु समझौते से संबंधित पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि जो समझौते से निकला है और जिसने इस समझौते को कमज़ोर किया वह अमरीकी सरकार है।

उन्होंने कहा कि अमरीका की ग़ैर क़ानूनी कार्यवाहियों पर हमने एक साल सब्र किया। राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि यूरोपीय देशों ने हमसे कहा था कि हम इस समझौते से अमरीका के निकल जाने की भरपाई करेंगे लेकिन चूंकि वह कुछ भी न कर सके, इसीलिए हमने घोषणा की कि इस समझौते के अनुसार ही हम अपनी तरफ़ से प्रतिबंधों और अपने वचनों पर अमल में कमी करेंगे।

राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि परमाणु समझौते के अनुच्छेद 26 और 36 में कहा गया है कि यदि कोई पक्ष समझौते पर पूर्ण प्रतिबद्धता न करे तो दूसरे पक्ष को भी यह हक़ हासिल होगा कि अपने वचनों पर अमल और समझौते की प्रतिबद्धता में कमी कर दे।

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