मनोबल बना कर रखें होगी जीत : उमैर जलाल  

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Will maintain morale and win: Umair Jalal

अवधनामा संवाददाता

प्रयागराज:  (Prayagraj) समाज सेवी उमैर जलाल ने कोरोना को देखते हुए लोगों से मनोबल को ऊंचा बनाये रखने की अपील की , उनका कहना था की दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना को मात देने के लिए लगे हुए हैं लेकिन कुदरत अपना कलहल खेल रहा है .
उमैर जलाल के अनुसार  कोविड 19 की जिसने भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया जहाँ विज्ञान के दम पर हम क्लोन विकसित करने की बात करते है जहाँ हम चांद पर ज़मीन बेचने ओर खरीदने की बात करते है जहाँ दूसरे ग्रह पर हम जीवन बसाने की बात करते है जहाँ हम ब्रह्मांड में खुद को स्थापित करने की बात करते है वहा एक छोटा सा वायरस सबको ये सोचने पर मजबूर करता है विज्ञान बड़ा है या कुदरत बड़ी है।
विज्ञान के सहारे हम इस बीमारी से निपटने के लिए लगातार नई दवाइया ओर टिके विकसित करने में लगे है वही दूसरी तरफ घरेलू नुख्शे जो प्राचीन समय से ही बीमारियों में इस्तिमाल होते आए है जिसे कुदरत ने हमे दे रखा है वो कारगर साबित हो रहे है.
कुदरत का निज़ाम देखिए प्रकृति में मौजूद ऑक्सिजेंन को ही उसने मनुष्य को ये बताने के लिए इस्तेमाल कर लिया है की मानवता दम तोड़ चुकी है . टीवी,मीडिया से ये जानकारी तो सबको ही मिल रही है की रिश्ते शर्मसार हो रहे है परिवार ने परिवार का साथ छोड़ दिया है कन्धा देने के लिए किराए के लोग आगे आरहे है या वो लोग आगे आरहे है जिनमे मानवता बची है जो उस अल्लह पर भरोसा रखते है कि खिदमत करो जन्नत में अपने लिए जगह बनाओगे
समाजसेवी के अनुसार  यकीन मानिए अच्छा लगता है जब ये खबरे मिलती है की हिन्दू भाइयों का दाह संस्कार मुस्लिम ने कराया या खबर मिलती हो की हिन्दू भाई ने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए अपना सब कुर्बान कर दिया हो. असल मे कोरोना एक इम्तिहान है ये देखने के लिए की आगे दुनिया कितनी बची है क्या मानव जाती को आगे बढ़ने मौका मिलना चाहिए या नही? सोचिए अगर गोद मे खेलने वाले बच्चे जिनकी हर ख्वाईश उन्होंने तक़लीफ़ सह कर के पूरी की हो आज जब वो तक़लीफ़ में तो बच्चे नदारत इससे बड़ा क्या इम्तिहान होगा।
कोढ़ बीमारी तो याद होगी आपको टीबी जब आई थी तो याद होगा आपको इसी बीमारी में लोगो ने अपनो से दूरी बना ली थी और ऐसी ही बीमारी में मदर टरेसा ने इंसानियत को ज़िंदा किया क्या आप नबियों की दी हुई निशानियों को भूल गए क्या आप भूल गए की अल्लाह ने क़ुरआन में हर मर्ज की दवा बताई है क्या आप भुल गए की अल्लाह ने हमारा इम्तिहान लेने के लिए भी कहा है हमारी आज़माइश होगी ये भी कहा है और आखिर ये भी कहा की तुम हक़ पर वापिस आजाओ तो अल्लाह माफ करने वाला है वो सारी नियामतें वापस करने वाला है क्या तुम ये भूल गए यूनुस अलय सलाम को उन्होंने मछली के पेट मे भी रिज़्क़ दिया क्या ये भूल गए कि उन्होंने उनको सज़ा के तौर पर मछली के पेट मे रखा था क्योंकि उन्होंने अल्लाह के वही आने से पहले की अपना मुक़ाम छोड़ दिया जबकि अल्लाह ने उनकी दुआ पर ही अज़ाब नाज़िल किया था.
आगे आइए ये समाजिक लड़ाई है बदलाव की लड़ाई है मनवता को शर्मसार करने से बचाने वाली लड़ाई है रिश्तों को टूटने से बचाने की लड़ाई है यकीन मानिए मौते जो हो रही है वो अपनो के बेरुखी से हो रही है मरीज जीते जी इस गम में हार रहा है मेरे अपने मेरे साथ नही है.  एहतियात के साथ ध्यान दे मरीज के आस पास बने रहे उसका कॉन्फिडेंस लेवल बनाए रहे उसको नाउम्मीद न रहने दे।

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