पुलिस के सामनें मैजिक, आटो व वैन छमता तथा अनुमति से अधिक बैठाते हैं सवारी।
अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार, दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज़ तीन प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन यहां होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है।
हिफजुर्रहमान जिला-संवाददाता अवधनामा
हमीरपुर :भारत दुनियां का पहला देश है जहाँ सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं।अन्तरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आई आर ऐफ) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है जिस में हमारे भारत देश की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक है। सरकार की ओर से सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।कुछ ही समय पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सभी हितधारकों को सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
नितिन गडकरी का कहना है कि 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक की कमी लाने के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन ये सुनिश्चित तभी हो पाएगा, जब सब मिलकर कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के कारण खतरनाक स्थिति बन रही है और भारत सड़क दुर्घटना के मामले में पहले स्थान पर, अमेरिका और चीन से आगे है। गड़करी ने सड़क सुरक्षा को लेकर एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं थीं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं, और 4.5 लाख से अधिक लोग इन दुर्घटनाओं में घायल होते हैं। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में प्रति दिन 415 लोग मारे जाते हैं। सड़क हादसे में 70 फीसदी मौतें 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में होती हैं।
नितिन गडकरी ने बताया था कि सड़क दुर्घटना से अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होता है। उन्होंने बताया था कि सड़क दुर्घटनाओं के चलते सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.14 प्रतिशत के बराबर सामाजिक-आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन मंत्रालय की ओर से इंजीनियरिंग, शिक्षा, प्रवर्तन और बेहतर आपातकालीन देखभाल सेवाएं जैसे कदम उठाए गए हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि भारत गाडिय़ों की संख्या में दुनिया में बहुत पीछे है लेकिन हादसों में होनें वाली मौतों में सब से आगे है। अन्तरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार दुनिया भर में जितनी गाडिय़ां हैं उन में मात्र तीन प्रतिशत ही भारत में है और दुर्घटनाओं में होनें वाली मौतों में भारत की हिस्सेदारी 12.6 है। इस से पता चलता है कि भारत में सड़कों पर चलने में बहुत ही लापरवाही बलती जाती है। हर दिन देश में सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग की जानें चली जाती हैं और हजारों लोग अपाहिज होजाते हैं। इन्ही आदसों की कड़ी में यदि हम कानपुर-सागर राष्ट्रीय राज मार्ग में आए दिन होनें वाली दुर्घटनाओं में मौत का अनुमान लगाएं तो शायद हर दिन के हिस्से में कुछ न कुछ मौते आती हैं। लेकिन तेज रफ्तार के साथ साथ छमता से अधिक सवारियों को बैठाना भी एक बड़ा कारण है। राष्ट्रीय राजमार्ग में डिवाईडर न होनें से भी बहुत सी दुघर्टनाऐं होजाती है क्योंकि कि तेज रफ्तार से चलने वाले वाहन आगे निकलने की खातिर कभी भी कहीं भी ओवरटेक करनें की कोशिश करतें जो हादसे का शिकार होजाते हैं। मौदहा-हमीरपुर के बीच चलने वाली डग्गामार मार आटो, मैजिक तथा वैन आदि पुलिस के आमनें छमता से अधिक सवारियां बैठा कर फर्टाटा भरते रहते हैं।
हैरत की बात यह है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर सभी अवैध आटो स्टैंड पर शिकंजा कसा गया है और आटो स्टैंड संचालकों पर गंम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है लेकिन यातायात पुलिस और पुलिस की मिली भगत से अभी भी ओवर लोड, मैजिक, आटो तथा वैन धडल्ले से फर्राटा भर रहे हैं।जिन पर लगाम लगाने की अति आवश्यकता है।कल के दर्दनाक हादसे में जनप्रतिनिधियों व प्रशासन अधिकारीयों नें मृतकों व घायलों के प्रति संवेदना प्रकट की जो अच्छी बात है लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठानें की अतिआवश्यक है ताकि फिर किसी मां का बेटा, किसी का पति और किसी बाप अचानक इस दुनिया से चला न जाए आगे होनें वाली दुर्घटनाओं को रोकना ही मृतकों के प्रति सच्ची संवेदना होगी।