गंगा में बहते रहे शव कहां गायब हो गये सरकारी गंगा मित्र

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Where did the dead bodies flowing in the Ganges disappear? Official Ganga Mitra

अवधनामा संवाददाता

पूर्व महामंत्री नरेन्द्र वर्मा ने केंद्र व राज्य सरकार को घेरा

बाराबंकी। (Barabanki)  जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री नरेन्द्र वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता की लाशें नदियों में बह रही है। यह अफवाह है या सच्चाई इसकी जांच होनी चाहिए। क्या मजबूरी होगी जो लोग लाशों को नदियों में बहा रहे हैं। कहां गई नमामि गंगे योजना और उनके गंगा मित्र। अब तो मुर्दे भी चिल्ला रहे हैं कि अगर पन्द्रह लाख के चक्कर में न पड़ते तो 20-30 साल और जी लेते।
उन्होंने कहा कि उपजिलाधिकारी रामसनेहीघाट द्वारा विगत दिनों अंग्रेजों के जमाने से कायम मस्जिद को लाकडाउन का उल्लंघन करते हुए रातो-रात गिरा दिया, जिसके बाद कई संगठनों ने विरोध जताया। इस पर जिला प्रशासन निर्दोष लोगों पर अपने मातहतों के बल पर फर्जी मुकदमा लिखवा कर लोगों को डरा रही है। ताकि लोग प्रशासन द्वारा किये गये अवैधानिक कार्य का विरोध न कर सकें।
श्री वर्मा ने कहा कि प्रदेश में हुई मौतों के आंकड़े छुपाये जा रहे हैं तथा सम्बंधित अधिकारी आंकड़ों में बाजीगरी दिखाकर जनता को गुमराह करके झूठे तथ्य पेश कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने विगत दिनों रामसनेहीघाट तहसील परिसर में ब्रिटिशकाल से कायम मस्जिद को बेशकीमती जमीन के चक्कर में लाॅकडाउन अवधि में पुलिस की भीड़ इकट्ठा करके गिरवा दिया है। जब इस बात की जानकारी जनता को हुई तो कई पार्टी के नेता और नागरिक सुमेरगंज स्थल को देखने जाने लगे। जिस पर प्रशासन के हाथ पांव फूल गये और आनन फानन में जाने से रोक दिया। कई निर्दोष लोगों पर फर्जी मुकदमा लाद दिये गये ताकि जनता डर जाये और प्रशासन अपनी नाकामी को आसानी से छुपा सके। एक तरफ प्रशासन कह रहा है कि मस्जिद वक्फ बोर्ड में पंजीकृत नहीं थी वहीं दूसरी तरफ अपने मातहतों के जरिये गलत पंजीकरण कराने के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है ताकि जिम्मेदारों की आवाज दब जाये और उनकी मदद के लिए कोई भी नेता आ न जाये। तहसील प्रशासन अंग्रेजी हुकूमत की तरह जनता से व्यवहार कर रही है एक तो मस्जिद को गलत तरीके से गिरा दिया गया है। वही मस्जिद के जिम्मेेदार लोगों पर ही फर्जी व गलत तरीके अंकित कराये जा रहे हैं।  जिसकी जांच हाईकोर्ट के जज द्वारा कराई जाये। विदित हो कि जिला प्रशासन इससे पहले भी कई लोगों पर दबाव बनाने के लिए विरोधियों से सांठगांठ करके फर्जी मुकदमें दर्ज करवा चुका हैं।
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