loan payment delayed अगर आप गलती से या किसी कारण वर्ष लोन का ईएमआई भरना भूल गए हैं। तो इसे कई दिक्कत आ सकती है। इन परेशानी से बचने के लिए आपको तुरंत कुछ कदम उठाने की जरूरत है। ताकि भविष्य में लोन पेमेंट या उधार से जुड़ी कोई दिक्कत ना हो। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस महंगाई के जमाने में अपनी मनपसंद या जरूरत का सामान लेने के लिए लोन का सहारा लेना पड़ता ही है। लोन के जरिए आप चीजे आसानी से खरीद पाते हैं। हालांकि आपको वस्तु के मूल्य के साथ ब्याज भी चुकाना पड़ जाता है। ये पैसे आप हर महीने ईएमआई के रूप में चुकाते हैं।
लेकिन अगर आप गलती से या किसी अन्य कारण के चलते लोन की ईएमआई भरना भूल जाएं, तो नुकसान से बचने या कम करने के लिए तुरंत कुछ कदम उठाने होंगे।
लोन पेमेंट भूलने पर उठाएं ये कदम
लोन की ईएमआई देरी पर भरने से या भूलने पर आपको चार्ज या शुल्क देना पड़ सकता है। वहीं इसका आपके क्रेडिट रिपोर्ट पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। अलग-अलग बैंक या वित्तीय संस्थान अलग-अलग चार्ज या शुल्क वसूल सकती है।
अगर ईएमआई पेमेंट की डेट में कुछ दिन की देरी हुई है। तो इसे जल्द से जल्द भरने की कोशिश करें। क्योंकि कुछ बैंक या वित्तीय संस्थान पेमेंट डेट पूरी होने के बाद भी तीन से चार दिन की छूट देती है। इस तरह से आप किसी भी तरह के चार्ज या शुल्क से बच सकते हैं।
हो सके, तो इस बारे में अपने बैंक या वित्तीय संस्थान को सूचित जरूर करें। इसके साथ ही उन्हें बताएं कि देरी किसी कारण वर्ष हुआ है। हो सकता है कि वे आपकी समस्या समझ कर आपसे किसी भी तरह का शुल्क या चार्ज ना वसूले।
लोन ईएमआई में देरी का असर सबसे ज्यादा क्रेडिट रिपोर्ट पर पड़ता है। क्रेडिट रिपोर्ट पर इस प्रभाव से आपको भविष्य में लोन लेने पर काफी परेशानी हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति की ईएमआई में 30 दिन से ज्यादा की देरी होती है, तो ये क्रेडिट रिपोर्ट में भी दर्ज किया जाता है। इसे ठीक करने के लिए आपको ध्यान रखना होगा कि भविष्य में होने वाली कोई भी पेमेंट में देरी ना हो।
ईएमआई लेट होने से कैसे बचें?
अगर आप ईएमआई भरना भूल जाते हैं या काम के बीच आपको पेमेंट की डेट याद नहीं रहती है। तो यूपीआई ऐप में ऑटोपे लगा सकते हैं। जिसके बाद आपके खाते से ऑटोमैटकली पेमेंट कट जाएगी। इसके लिए आपको पेमेंट डेट याद रखने की भी जरूरत नहीं है।
इसके साथ ही अपनी सैलरी को 50:30:20 रेश्यू में बांटकर सेविंग कर सकते हैं। इस तरह से आप कई अलग-अलग इन्वेस्टमेंट प्लान का इस्तेमाल कर सेविंग और खर्चे दोनों बैलेंस कर सकते हैं।