घर-घर बुखार सर्दी खांसी की जद में है खौफ के साए में जी रहे लोग
अतरौलिया / आज़मगढ़। (Atraulia / Azamgarh.) पूरा देश कोविड-19 के संक्रमण से जूझ रहा है सरकार भरसक प्रयास कर रही है लोगों की जान बचाई जाए वही कोरोना संक्रमण के साथ क्षेत्र में कोविड-19 के साथ वायरल बुखार भी जमकर फैला हुआ है कस्बे से लेकर गांव तक सर्दी जुकाम बुखार ने दस्तक दे दी है। घर-घर लोग बुखार के साथ सर्दी खांसी की जद में हैंं। अतरौलिया ब्लॉक सहित बूढ़नपुर तहसील के दर्जनों गांव बुखार के संक्रमण से जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि शिकायत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव जांच के लिए नहीं पहुंच रही है बूढ़नपुर तहसील के कस्बा या फिर गांव चारों ओर बुखार के साथ सर्दी जुखाम खांसी ने लगभग हर घर में दस्तक दे दी है। एक के बाद एक लोग बुखार के संक्रमण की जद में आ रहे हैं वही गांव गांव फैले संक्रमण से स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अंजान बने हैं। लोग खौफ के साए में जी रहे हैं स्थानीय लोगों का कहना है महीनों से लोग बुखार के संक्रमण से जूझ रहे हैं वही मेडिकल स्टोर में दवाओं की टोटा देखा जा रहा है हमेशा बुखार में प्रयोग होने वाली दवाओं का अकाल पड़ रहा है।
बुखार में प्रयोग लाई जाने वाली पैरासिटामोल, डोलो, एंटीबायोटिक डोक्सी कैप्सूल और विटामिन सी की कमी पूरा करने के लिए खायी जाने वाली टेबलेट लिम्सी की मेडिकल स्टोरों में उपलब्धता कम हो गई। कोरोना से संक्रमित या फिर बुखार आ जाने पर चिकित्सकों की ओर से इन दवाओं को लिखकर खाने की सलाह दी जाती है लेकिन मरीजों को दवा खाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। बताया जा रहा है कि दवाओं की कमी के पीछे दवा एजेंसी संचालकों का हाथ है एजेंसी संचालक दवाओं की कालाबाजारी कर रहे हैं अपने चहेते मेडिकल स्टोरों को महंगे दामों पर दवाओं की आपूर्ति कर रहे हैं यदि जिम्मेदार समय से नहीं चेते तो भयंकर स्थिति हो सकती है। मौसम के बदलते मिजाज से सर्दी जुखाम के लोग परेशान हैं। ग्रामीण क्षेत्रो में जिन झोलाछाप डॉक्टरों को कोई पूंछता नही था आज वह धूनी रमाकर गरीबों को लूटने का कार्य कर रहे हैं। हलांकि ग्रामीण अपना इलाज शहर या सरकारी अस्पतालों में जाना भी नही चाहते लोग किसी तरह ठीक होना चाहते हैं उन्हें लगता है सर्दी जुकाम बुखार के मरीजों की जांच कर कोविड पॉजिटिव न दिखा दिया जाए। ग्रामीणों के लिए झोला छाप डॉक्टर किसी भगवान से कम नही हैं, कस्बों में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों में मेला लगा रहता है।
दफ्तर से हो रही है मेडिकल स्टोरों की निगरानी
जिले में तैनात औषधि निरीक्षक के लापरवाही से दवा खरीदने में मरीजों को जेब ढीली करनी पड़ रही है दवा की कालाबाजारी होने के बाद भी औषधि निरीक्षक दफ्तर से ही मेडिकल स्टोरों और दवा एजेंसियों की निगरानी करते हैं खास बात यह है कि उनके दफ्तर में ही कुछ चहेते एजेंसी संचालक जमा रहते हैं इन्ही एजेंसी संचालकों के सहारे दवाओं की कालाबाजारी का काम होता है बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी के खास होने के चलते एजेंसी संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।
स्टॉकिस्टों की बल्ले बल्ले
जुखाम बुखार में प्रयोग होने वाली दवाओं के दाम मेडिकल स्टोर के बड़े संचालकों ने आसमान पर पहुंचाने में उतारू हैं जनपद क्षेत्र के होलसेल मेडिकल स्टोर में जमकर दवाओं का भंडारण कर अनाप शनाप दामों में स्टोर संचालकों को बेंच रहा है जानकारी के अनुसार सुई लगाने वाली जो सिरिंज का डिब्बा 125 में बिकता था वो आज 180 से 190 में बेचा जा रहा है एक मोनोसेफ 01 ग्राम का इंजेक्शन 60 से 70 रुपये में बेचा जा रहा। दवाओं की जमकर काला बाजारी की जा रही क्या जिला प्रशासन, ड्रग इंस्पेक्टर कुछ कार्रवाई कर पाएंगे।