भारत जोड़ो यात्रा का सच

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एस एन वर्मा

कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के लिये जिन राज्यों को चुना, और किस राज्य में कितने दिन यात्रा में रहेगे तो गौर करे तो पायेगे हर तरफ से सत्ता गंवाती कांग्रेस पुनरवापसी को ध्यान में रखकर यात्रा का रूट चार्ट तैयार किया है। इसे स्वीकारने में कांग्रेस को संकोच नही करना चाहिये, क्योंकि राजनीतिक पार्टियां सत्ता के लिए ही बनती है और सत्ता के लिये ही मतदान में उतरती है। लोगो को प्रभावित करने के लिये तरह तरह की घोषणायें करती है, मुद्दो को उठाकर सत्ता से टकराती है, अन्दोलन भी करती है, प्रदर्शन भी करती है। राजनैतिक पार्टी के लिये यह सब स्वाभाविक है। पर कांग्रेस अपने मूल उद्योश्य को छिपाते हुये भारत जोड़ो यात्रा को राजनैतिक यात्रा नहीं बताती है। लोगों से जुड़ने की यात्रा बताती है। लोगो से जुड़ कर क्या करेगी, चुनाव लड़ेगी, सत्ता वाली सरकार को हटाकर अपने पार्टी की सरकार बनायेगी। राहुल गांधी यात्रा के दौरान तरह तरह के रोल दिखा रहे है। कभी बोटिंग करते है, कभी बच्चों के साथ खेलते है, कभी मन्दिर जाते है। बीच में नया दृश्य दिखाया जब वे अटल जी की समाधि पर गये। इससे पहले कभी नही सुना गया कि राहुल ने अटल जी की समाधि पर जाकर श्रद्धासुमन चढ़ाये। किसी भी नेता का काम अच्छा लगता है और अपील करता है जब वो स्वाभाविक लगे ओवरऐक्टिंग नही लगे।
कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा से बहुत आशान्वित है पर यह तो समय ही बतायेगा। कांग्र्रेस की आशायें कहा तक पूरी होगी। कांग्रेस ने जहां उसकी सरकार है, जहां उसे भविष्य के लिये सम्भावना लगती है, उन्ही राज्यों और रास्तों को चुने है और कहा कितने दिन रूकना है इसी का ध्यान में रखकर योजनानुसार यात्रा की जा रही है।
भारत जोड़ो यात्रा दो तिहाई से ज्यादा सफर कर दिल्ली पहुंच गई है। अगर कोरोना नही फैला तो तीन जनवरी से यात्रा फिर शुरू होगी और 26 जनवरी को जम्मू कश्मीर में समाप्त हो जायेगी। भारत जोड़ो की यात्रा में जिना मुद्दों को उठाया गया वे अस्वाभाविक नही है अस्वाभाविक कांग्रेस का यह कहना है कि मुद्दे राजनीतिक लाभ के लिये नहीं उठाये जा रहे है। जा़हिर है चूकि केन्द्र में भाजपा सरकार है तो हर मुद्दा प्रधानमंत्री को केन्द्र में ही रखकर उठेगा। फिर इससे इनकार कैसा। सारे वक्तव्यों का निशाना तो सत्तारूढ़ सरकार ही होगी। अभी तक पूरे भारत यात्रा में भाजपा सरकार पर हमला ही किया जाता रहा है। फिर भी कहते है यात्रा अराजनतिक है।
कांग्रेस ने हाल में सम्पन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुये विधान सभा चुनाव में अपने पिछले नतीजे को देखते हुये कोई जोर नहीं लगाया। गुजरात में वो बहुत बुरी तरह हारी, हिमाचल में इनकम्बेन्स और भाजपा की हलीय फूट की वजह से बहुत कम मार्जिन से जीत गई। कमजोर प्रदर्शन के देखते हुये कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा में इन्हें अपने रूट में शामिल नहीं किया। तामिलनाड़ु में कांग्रेस गठबन्धन सरकार में शामिल है, भाजपा वहां कमजोर है। केरल में मुख्य विपक्षी पार्टी के साथ कांग्रेस गठबन्धन में है। केरल से ही राहुल लोक सभा चुनाव जीते थे। उत्तर में अपनी असफलता देख कांग्रेस दक्षिण की ओर ध्यान दे रही है। केरल जैसे छोटे राज्य में राहुल का 18 दिनों तक रूकना यही बताता है कि उत्तर से निराश दक्षिण की ओर कांग्रेस देख रही है। खरेग के गृह राज्य में कांग्रेस ने 21 दिन विताये वह गंठबन्धन सरकार के साथ वापसी की आस लगाये है। तेलंगाना में भाजपा नही है कांग्रेस खुश है क्योकि वहां से उसे उम्मीद है इसलिये यहां भी 12 दिन का पड़ाव लिया। महाराष्ट्र में गठबन्धन सरकार शिवसेना वाली गिर गयी। नयी गठबन्धन सरकार के साथ भाजपा है। वहां 48 सीटे है इसलिये यहां पर कांग्रेस ने 14 दिन बिताये। मध्यप्रदेश में कांग्रेेस ने सत्ता खो दी है। वहां अगले साल चुनाव होना है इसलिये वहां 16 दिन रही। राजस्थान में जहां उसकी सरकार है वहां भी अगले साल चुनाव होना है इसीलिये वहंा 18 दिन का मुकाम किया। हरियाणा में कांग्रेेस मुख्य विपक्षी दल है इसलिये वहां 11 दिन का कार्यक्रम रक्खा गया।
यात्रा का अन्त जम्मू कश्मीर में होगा। वहां अगले साल शायद चुनाव हो। वहां क्षेत्रीय दलों के सहारे ही सरकार बनेगी। भारत जोड़ो यात्रा यही समाप्त होगी राहुल और कांग्रेस को अपना राजनैतिक लक्ष्य छुपाना नही चाहिये। वह लोगो से कितना जुड़पाती है और अपने दल को कितना एकजुट रखपाती है। आगे की सफलता इस पर निर्भर करेगी और भारत जोड़ो यात्रा की सफलता का आकलन इसी से होगा कि आगे के चुनावों में कांग्रेस अपनी स्थिति कितना सुधार पाती है। राजनैतिक है तो राजनीति करना तो दलों का धर्म है। इसे छुपाना नहीं चाहिये। छुपाने से छुपेगा भी नहीं।

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