कैसे कह दूँ कि सवेरा हो गया किन्तु आज उल्लुओं का बस्रेरा हो गया

0
142

अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। कैसे कह दूँ कि सवेरा हो गया किन्तु आज उल्लुओं का बस्रेरा हो गया की रचना के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन का आरंभ हुआ।
वरिष्ठ रचनाकार राम किशोर तिवारी ने कहा कि मची हुई चारों ओर लूट मार है हत्या, व्यभिचार और अनाचार है। वहीँ हिंदी के अप्रितम गीतकार डा.अलोक शुक्ल ने धार्मिक विसंगतियों पर प्रहार करते हुए मैं राम से भी मिल चूका मैं श्याम से भी मिल चूका मैं हीर से भी मिल चूका ,मैं सुर से भी मिल चूका, कबीर से भी मिल चूका ,मैं पीर से भी मिल चूका ,मैं फ़कीर से भी मिल चूका,वजीर से भी मिल चूका मेरी तुला पे सब तुले ,मैं आखिरी पड़ाव हूँ। पढ़कर वर्तमान अंध-धर्मान्धता पर करारी चोट की कवि सम्मलेन में हास्य-व्यंग्य के रचनाकार अजय प्रधान ने वर्तमान सरकार की अकर्मण्यता पर करारा व्यंग्य करते हुए कहा कि कहाँ तक धर्म, मज़हब जाति के अध्याय बेचोगे ,हमारी आस्था गंगा व गीता, गाय बेचोगे अगर इस बार कुछ अच्छा न कर सके तो पक्का है 24 में तुम चाय बेंचोगे। थाने में लिखते हैं आपकी सेवा में है पुलिस जाकर तो देखिये। यह तरक्की का दौर है
पैसा नहीं तो लाश भी देते नहीं अस्पताल हैरान होइए कि यह तरक्की का दौर है पढ़कर आदर्श बाराबंकवी ने योगी-मोदी सरकार पर करारा प्रहार किया। श्रृंगार के कवि जीतेन्द्र श्रीवास्तव ने फूल चन्दन सी खुशबु सा तेरा बदन,छु के तेरा बदन,मैं लहक जाऊंगा ,तेरी आँखों को जो मैं निहारा करूँ,बिन पिए ही सनम में बहक जाऊंगा पढ़कर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। कवियत्री श्री मती लता श्रीवास्तव व अतुल सिंह माधुरी को भी सराहा|कवि सम्मलेन की अध्यक्षता डा.अम्बरीश अम्बर ने की। इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बृजमोहन वर्मा रणधीर सिंह सुमन प्रवीण कुमार ,महेंद्र यादव, मिथलेश कुमार, दीपक वर्मा, शिव दर्शन वर्मा विनय कुमार सिंह व बिंदु सिंह ने कविगणों को माला पहनकर व उपहार देकर सम्मानित किया।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here