प्रदूषण के कारण भारतीय पर्यटन स्थलों पर जाने से कतरा सकते हैं पर्यटक

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बढ़ता प्रदूषण ‘अतुल्य भारत’ की छवि के लिए हो सकता है घातक
 पैकेजिंग अपषिश्ट कलेक्षन व रिसाइक्लिंग इकोसिस्टम हो मजबूत

लखनऊ । विश्व पर्यटन दिवस (27 सितंबर) से पहले भारत के अग्रणी यात्रा एवं पर्यटन असोसिएशंस एकजुट होकर सरकार से पैकेजिंग अपशिष्ट का कलेक्शन और रिसाइकलिंग इकोसिस्टम को मजबूत करने की अपील की हैं। उनका कहना है कि स्वच्छता क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को भारतीय पर्यटक स्थलों की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अपशिष्ट संग्रह प्रणाली को मजबूत करने और आम नागरिकों को विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के जिम्मेदार निपटान के महत्व पर शिक्षित करने से पर्यटन स्थलों और अन्य भारतीय शहरों में कम कचरा पैदा होगा। वर्तमान में मल्टीलेयर्ड पैकेजिंग (चिप्स बिस्कुट) और टेट्रा पैक्स जैसे प्लास्टिक रिसाइकलिंग के इकोसिस्टम में कम महत्व पाने के कारण बहुत कम कलेक्ट किये जाते हैं और अन्य प्लास्टिक, जैसे पीईटीध्एचडीपीई बॉटल्स की विश्वभर में सबसे ज्यादा रिसाइकलिंग होती है और कूड़ा बीनने वालों को प्रति कि.ग्रा. 25-30 रू. मिलते हैं।  एक महीने पहले भारत सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण का डेटा जारी किया था, जिसमें कई पर्यटन स्थलों, जैसे अमृतसर, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर, वाराणसी, शिलॉन्ग, आदि की रेटिंग खराब रही। विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से आधे भारत में हैं। इससे भारत और भारतीय गंतव्यों की विश्व में नकारात्मक छवि बनती है और पर्यटन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मौजूदा महामारी एक स्वच्छ सुरक्षित और पर्यावरण-हितैषी पर्यटन पारिस्थितिकी निर्मित करने के रोडमैप पर दोबारा सोचने का अवसर है। देश में टूर ऑपरेटर्स के शीर्ष निकाय इंडियन असोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के प्रेसिडेन्ट प्रोणब सरकार ने कहा, ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था को नया जीवन देने के लिये पर्यटन महत्वपूर्ण है और कोविड के बाद पर्यटकों को आकर्षित करने में स्वच्छता प्रमुख भूमिका निभाएगी। सहमे हुए पर्यटक ऐसे गंतव्य चाहेंगे, जो सुरक्षित होने के साथ ही हाइजीनिक और स्वच्छ हों। प्रदूषण न केवल वातावरण को प्रभावित करता है, बल्कि संस्कृति, समाज और अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव डालता है। पर्यटन के संदर्भ में प्रदूषण का आशय वायु के उत्सर्जन, आवाज, ठोस अपशिष्ट और कूड़े, सीवेज और रसायन निकलने और आर्किटेक्चरलध्विजुअल प्रदूषण से भी है। इनमें से अधिकांश से आसानी से बचा जा सकता है। प्लास्टिक अपशिष्ट के निपटान, संग्रह और रिसाइकलिंग की क्रियाविधि के संदर्भ में बेहतर योजना से अच्छा स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती मिलेगी, स्वच्छ पानी और सैनिटाइजेशन होगा, शहरों और समुदायों में स्थायित्व आएगा और उपभोग तथा उत्पादन जिम्मेदारी से होगा। इससे विश्व में सकारात्मक संकेत जाएगा, जो भारतीय पर्यटन के लिये अच्छा होगा।’’  ट्रैवेल एंड टूरिज्म असोसिएशन ऑफ गोवा के प्रेसिडेन्ट निलेश शाह ने कहा, ‘‘भारत में पर्यटन उद्योग को गति देने के लिये स्वच्छता जरूरी है। कूड़ा करने की आदत, अपशिष्ट के कुप्रबंधन और महामारी ने प्रदूषण बढ़ाया है। मौजूदा महामारी के कारण प्लास्टिक अपशिष्ट में बढ़त हुई है, क्योंकि प्लास्टिक की चीजों का उपयोग बढ़ा है। प्लास्टिक को प्रतिबंधित करना इसका समाधान नहीं है, क्योंकि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि प्लास्टिक हमारे जीवन का महत्वपूर्ण भाग है, चाहे मास्क हों, पीपीई किट्स या सैनिटाइजर की बोतलें। अभी लोगों को सही निपटान और रिसाइकलिंग पर शिक्षित करने की आवश्यकता है, खासकर सबसे ज्यादा रिसाइकल होने वाले प्लास्टिक्स के संदर्भ में, ताकि नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके और हमारे पर्यटन स्थल, जैसे समुद्रतट, पहाड़ी क्षेत्र और तीर्थ स्था्न अपनी चमक बरकरार रखें।’’ फेडरेशन ऑफ असोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी (एफएआईटीएच) के मानद सचिव सुभाष गोयल ने कहा, ‘‘पर्यटक ऐसे गंतव्यों को पसंद करेंगे, जो सफाई के संदर्भ में सुरक्षित और देखने में भी साफ हों। मौजूदा महामारी ने हमें बोध कराया है कि अपने ग्रह के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, केवल सरकार और नगरपालिकाओं के नहीं, बल्कि सभी लोगों, सामाजिक, स्वयंसेवी संगठनों और आवासी कल्याण समितियों का संयुक्त प्रयास देशभर में होना चाहिये, ताकि कूड़ा कम हो और अपशिष्ट संग्रह तथा रिसाइकलिंग सुधरे। पर्यटक ऐसी जगह जाना चाहते हैं, जो देखने में सुहावनी हो। सफाई और हेल्थ ऑडिट नियमित तौर पर होना चाहिये, ताकि इंफ्रास्ट्रनक्च र और वातावरण अपने मौलिक रूप में रहे। अगर हम मिलकर इस लक्ष्य के लिये काम करेंगे, तो अतुल्य भारत के नये युग का आगाज होगा!’

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