अवधनामा संवाददाता
गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में दीक्षा पाठ्यचर्या का दूसरा दिन
गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, आयुर्वेद कॉलेज में वाग्भट्ट (सत्र 2023-24) बैच के दीक्षा पाठ्यचर्या के द्वितीय दिन बीएएमएस विद्यार्थियों को संबोधित करने हेतु बतौर मुख्य वक्ता महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय गोरखपुर के परीक्षा नियंत्रक डॉ सीके राजपूत उपस्थित रहे।
डॉ राजपूत ने अपने उद्बोधन मे कहा कि आप यहां चिकित्सक बनने आये हैं। अच्छा वैद्य बनने के लिए अपने पाठ्यक्रम की पूर्ण जानकारी, सतत अध्ययन, प्रायोगिक ज्ञान की आवश्यकता होती हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में वैद्य, औषध, परिचारक और रोगी ये सभी महत्वपूर्ण स्तम्भ की तरह होते हैं। इनके श्रेष्ठ गुणों का संहिताओं मे वर्णन मिलता है। किसी एक के भी गुणहीन होने पर चिकित्सा में पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं होती है। इन सबमें वैद्य सर्वोच्च होता है जिसके दिशानिर्देश पर सब कार्य करते हैं। औषध भी रस, गुण, वीर्य, विपाक आदि से पूर्ण होने पर चिकित्सा कार्य मे सिद्धि देने वाला होता है। परिचारक वैद्य के निर्देश पर कार्य करने वाला और रोगी के प्रति करुणा रखने वाला, और रोगी अपने लक्षणों को बताने वाला और सहनशील हो तो चिकित्सा आसान होती है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा कार्य मे सफल होने के लिए मानव शरीर के शरीर रचना और शरीर क्रिया का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही आयुर्वेद चिकित्सक बनना बिना संहिता ज्ञान के सम्भव नहीं है। संहिताओ के अध्ययन के लिए संस्कृत ज्ञान भी अति आवश्यक है। कार्यक्रम में आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ मंजूनाथ एनएस ,कक्षा समन्वयक डॉ पीयूष वर्षा सहित सभी शिक्षक उपस्थित रहे।