प्रयागराज में, एक सरकारी अफसर ने 90 हजार रुपये के घोटाले का राजफाश करने में दो वर्ष से अधिक का समय लगा दिया। कोरांव की बड़वारी कला ग्राम पंचायत में हुए इस गबन के मामले में डीएम के आदेश पर प्रधान के वित्तीय अधिकार छीन लिए गए हैं और खाते के संचालन पर रोक लगा दी गई है। हैंडपंपों के रीबोर और स्कूल की चहारदीवारी में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद यह कार्रवाई हुई है।
प्रयागराज। जांच और कार्रवाई के नाम किस तरह घोटालेबाजों को राज करने की रियायत दी जाती है, इसका एक ताजा उदाहरण सामने आया है। महज 90 हजार रुपये के एक घोटाले को पकड़ने व प्रधान पर कार्रवाई करने में अफसराें ने दो वर्ष से अधिक का समय लगा दिया। यह प्रकरण प्रश्न उठाता है कि अधिकारी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति को लेकर कितना गंभीर हैं।
डीएम के आदेश पर प्रधान का खाता संचालन पर रोक
कोरांव की बड़वारी कला ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर 90,756 रुपये का गबन हुआ था। इस पर डीएम मनीष कुमार ने ग्राम पंचायत के खाते के संचालन पर रोक लगा दी है। ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार भी छीन लिए हैं। प्रयागराज जैसे जनपद जहां बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं, उसके सामने 90 हजार रुपये की यह रकम मामूली है। लेकिन, इसमें भी कार्रवाई में लगभग दो साल से अधिक समय अफसरों ने लगा दिए।
हैंडपंपों के रीबोर आदि कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत थी
कोरांव के बड़वारी कला गांव के अनूप मिश्रा ने 11 जुलाई 2023 को हैंडपंपों के रीबोर और स्कूल की चहारदीवार आदि कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। 15 जुलाई को तत्कालीन डीएम ने पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड के एक्सईएन को जांच अधिकारी नामित किया था। उन्हें जांच करके तत्काल रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे, लेकिन इसकी फाइल दबी रही।
पंचायती राज विभाग खानापूर्ति करता रहा
पंचायती राज विभाग अनुष्मारक देने में खानापूर्ति करता रहा। 18 अगस्त को जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट दी। चार सितंबर को ग्राम प्रधान व सचिव को नोटिस जारी हुई। जवाब न मिलने पर 17 अक्टूबर को यह कार्रवाई हुई है।
मुख्यालय में अटका रहा आदेश, हो गया भुगतान
17 अक्टूबर को खाते के संचालन पर रोक का आदेश जारी हुआ था। 10 दिन तक वह जिला मुख्यालय में ही अटका रहा। इस बीच 26 अक्टूबर को 26-26 हजार रुपये के दो भुगतान भी हो गए, जो ई-ग्राम स्वराज पोर्टल में यह प्रदर्शित हो रहे हैं। कोरांव के बीडीओ मनोज सिंह का कहना है कि शनिवार तक आदेश नहीं मिला था।





