अवधनामा संवाददाता
आभूषण की खरीदारी में महिलाओं ने दिखाई रुचि
बाइक के शोर रूम व बर्तन की दुकानों पर सुबह से ही पहुंचने लगे लोग
कुशीनगर। पंचदीपोत्सव पर्व पर धनवंतरी जयंती यानी धनतेरस के दिन शुक्रवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार गुलजार रहे, लोगों ने जानकर खरीदारी की। वर्तन, जेवर व कपड़ों की दुकानों पर दिन भर भीड़ लगी रही। इसके अलावा मिठाईयों के साथ-साथ दोपहिया वाहनों की भी खूब बिक्री हुई।
धनतेरस त्योहार पर बर्तन व जेवर के दुकानदारों ने अपनी दुकानें सलीके से सजा रखी थी। मान्यता है, कि धनतेरस के दिन बर्तन की खरीदारी की जाती है। जिससे भगवान कुबेर प्रसन्न होते है, तथा लोगों की कामनाएं पूरी होती है। सुबह से ही बर्तन, जेवर, कपड़े, मिठाई व दो-पहिया वाहनों की दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई। जैसे-जैसे दिन चढता गया बाजार मे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई। त्योहार पर खासकर बर्तनों के दुकानदारों ने पडरौना नगर के धर्मशाला रोड, बैंक रोड़, मेन रोड, रामकोला रोड, दरबार रोड समेत अन्य प्रमुख मार्गो पर बर्तन की दुकानें सजा रखीं थी। जहां अनुमानित मूल्य थाली 50 से 350 रुपये, गिलास 30 से 140 रुपये, लोटा 150 से 450 रुपये तथा तांबा का 220 से 600 रुपये प्रति किलो, जग 110 से 500 रुपये, ट्रे 95 से 300 रुपये, कड़ाही 250 से 450 रुपये प्रति किलो, तवा 120 रुपये प्रति किलो, कटोरी 25 से 65 रुपये, चम्मच 5 से 20 रुपये, बाल्टी 345 रुपये प्रति किलो, दूध बाल्टी 345 रुपये प्रति किलो, टिफिन 240 रुपये पति किलो, ड्रृम 180 रुपये प्रति किलो, कुकर 800 से 2000 रुपये प्रति की दर से बिक रहा था। जेवर की दुकानों पर भी खरीददारी कर रहे लोगों की भीड़ बनी रही। त्योहार के मौके सोना, चांदी दो-पहिया वाहनों की भी खरीदारी की। मिठाई व कपड़ों की दुकानों पर भी लोग जमे रहे।
महंगाई का दिखा असर
दुकानदारों की मानें तो महंगाई के चलते ग्राहकों ने इस बार अपेक्षाकृत सस्ते सामानों की खरीद में ज्यादा रुचि दिखाई। महिलाओं ने आभूषणों की खरीद में खूब रुचि दिखाई। शहर के सराफा की दुकानों में महिलाओं की भीड़ नजर आई। दुकानदारों के मुताबिक पायल, बिछिया से लगायत गले का हार, कान की बाली व झुमका तक की खरीदारी महिलाओं ने की। बर्तन के दुकानदारों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों से तांबा, फूल व पीतल के बर्तनों की बिक्री घटी है। इस साल भी स्टील के बर्तनों की डिमांड खूब रही। अधिकांशत: लोगो ने नियमित उपयोग के बर्तनों की खरीद पर विशेष जोर दिया। बाजार में हर आय वर्ग के ग्राहकों की भीड़ थी। देर रात तक बाजार ग्राहकों से भरे पड़े थे।