Friday, May 16, 2025
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HomeUttar PradeshLalitpurमरने के बाद भी सुकून नहीं....

मरने के बाद भी सुकून नहीं….

 

अवधनामा संवाददाता

पोस्टमार्टम हाऊस में खराब पड़े आधा दर्जन फ्रीजर
भीषण गर्मी में शवों की हालत हो रही खराब
 
मुक्ति संस्था के रहमोकरम पर सरकारी सेवाओं में दिये जा रहे फ्रीजर
ललितपुर। वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी में मरने के बाद भी सुकून नहीं है। यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। क्योंकि जनपद मुख्यालय के नेहरू नगर बाल सम्प्रेक्षण गृह के पीछे बनाये गये आधुनिक पोस्टमार्टम हाऊस में शवों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए लगाये गये फ्रीजर खराब पड़े हैं। हालात यह है कि अज्ञात मिलने वाले शवों की हालत काफी जर्जर हो जाती है। कारणवश शवों से आने वाली दुर्गंध और शव में कीड़े पड़ जाते हैं। जिससे पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारियों व चिकित्सकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि शहर की आबादी के बीच स्थित मोहल्ला घुसयाना में पोस्टमार्टम हाऊस हुआ करता था, जहां सड़क किनारे बने कमरे में मिलने वाले शवों को रखा जाता था। लेकिन शनै-शनै आबादी बढऩे के साथ ही प्रशासन की पहल पर आबादी से दूर नेहरूनगर स्थित बाल संप्रेक्षण गृह के पीछे आधुनिक पोस्टमार्टम हाऊस का निर्माण कराया गया था। यहां ज्ञात-अज्ञात शवों के पोस्टमार्टम किये जाने लगे। वर्तमान में पोस्टमार्टम हाऊस में अव्यवस्थाओं का अम्बार लग गया है। यहां ज्ञात व अज्ञात शवों को रखने के लिए लगाये गये सभी फ्रीजर खराब पड़े हैं। अब पोस्टमार्टम हाऊस में शवों को रखने के लिए संस्था को दबाव में लेकर फ्रीजर से सरकारी सेवायें बहाल की जा रहीं हैं। बताया जाता है कि ज्ञात शवों का पोस्टमार्टम यदि दूसरे दिन होना हो तो इस भीषण गर्मी में चौबीस घण्टे से अधिक समय तक बिना फ्रीजर के रखे जाने वाले शव गलने लगते हैं। वहीं अज्ञात शवों को एक आदेश के अनुसार कम से कम 72 घण्टों तक रखना पड़ता है, ताकि शिनाख्त हो सके। लेकिन शिनाख्त न होने की दशा में ऐसे अज्ञात शवों को मुक्ति संस्था की मदद से निस्तारित किया जाता है। अभी बीते दिनों की ही बात है कि ग्राम मसौरा के पास पड़ौरिया के निकट पलटी बस में चार मृतकों के शव पोस्टमार्टम हाऊस लाये गये, यहां दो शव और लाये गये। कुल छह शवों का पोस्टमार्टम अगले दिन होना था, लेकिन फ्रीजर न होने के कारण उक्त शवों को खुले में रखना पड़ा। लिहाजा मुक्ति संस्था को रात करीब 11 बजे फोन लगाकर फ्रीजर भिजवाने की बात कही गयी, जिस पर मानवता दिखाते हुये मुक्ति संस्था ने सहयोगी रामू के सहयोग से रात में ही फ्रीजर भेजे, तब कहीं जाकर शवों को सुरक्षित किया गया। बताया जाता है कि पोस्टमार्टम हाऊस नाम के लिए आधुनिक हैं, लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर यहां कुछ भी नहीं है। पोस्टमार्टम के लिए आने वाले ज्ञात-अज्ञात शवों का खून या मांस के टुकड़े यहां, वहां गिर जाते हैं, जिन्हें साफ करने के लिए पोस्टमार्टम हाऊस परिसर में किये गये दो बोर, जिन्हें आज तक सुचारू नहीं किया गया। लिहाजा मृतक के परिजनों से दूर कहीं से पानी लाने और सफाई कराने के लिए विवश किया जाता है। यहां स्थिति काफी भयावह हो जाती है। अव्यवस्थाओं का आलम यहीं नहीं है, इससे और अधिक बढ़कर है। पोस्टमार्टम हाऊस की विद्युत लाइन ग्रामीण फीडर से जुड़ी है, जिस कारण आये दिन बिजली गुल रहती है। जिससे यहां आने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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