रमज़ान उल मुबारक के महीनों में रोज़ा रखने की बेशुमार फ़ज़ीलत है:मौलाना नूरूल हसन

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अवधनामा संवाददाता

टाण्डा अम्बेडकरनगर।  व्यक्ति को अपनी पहचान स्यवं बनाना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय मे प्रत्येक व्यक्ति अपनी कमियों से अधिक दूसरे व्यक्ति में कमियां तलाश करता है प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन अपनी कमियों को तलाश करने के साथ दूसरों की अच्छाई को देखना चाहिए और फिर अपने जीवन मे दूसरों की अच्छाइयों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए उक्त बातें इमाम जुमा मछलीगाँव सैयद नूरूल हसन ने टाण्डा नगर स्थित मस्जिद राजा साहब में मरहूम आलिम हुसैन की 22वीं बरसी के मौके पर आयोजित एक मजलिस में अपने सम्बोधन के दौरान कही उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति आज यह तो कहता है कि वह अल्लाह को मानता है मगर कोई यह दावे के साथ नहीं कहता नज़र आता है कि हम अल्लाह के साथ अल्लाह की बातों पर अमल भी करते हैं ऐसे कम ही लोग नज़र आते हैं।रमज़ान उल मुबारक के महीने में रोज़े रखने की फ़ज़ीलत को बयान करते हुए उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि रोज़ा सिर्फ़ भूखे रहने का नाम नही बल्कि आपके शरीर में सभी अंगों की परीक्षा भी होती है बुराइयों से बचने का नाम रोज़ा है।  इस दौरान मजलिस आयोजक मरहूम के बड़े पुत्र सैयद रिज़वान हुसैन सहित मजलिस में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया बाद मजलिस नज़रे मौला का भी एहतेमाम किया गया था।

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