अवधनामा संवाददाता
अव्यवस्थाओं के बीच पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करना आसान नहीं
अंत्येष्टि स्थल के ऊपर लगा टीनशेड जर्जर, टपक रहा पानी
तमाम अव्यवस्था हावी, अधिकारी बेखबर
अमित लखेरा की कलम से
ललितपुर। कहते हैं कि सोलह संस्कारों में व्यक्ति का पंचतत्व में विलीन होना आखिरी यानी अंतिम संस्कार है। लेकिन विकास की इस अंधी दौड़ में अधिकारियों की घोर लापरवाही का नतीजा है कि अंतिम संस्कार के लिए चयनित किये गये स्थल (शमशाम घाट) न तो अंतिम संस्कार करने के योग्य शेष बचे हैं और न ही यहां मूलभूत सुविधाएं हैं, जिससे अब लोगों को परेशानियों के बीच शरीर को पंचतत्व में विलीन करना पड़ रहा है। हालांकि पड़ौसी महानगर झांसी के ही शमशाम घाट देखें तो वहां समस्या नाम की चीज भी देखने को नहीं मिलेगी। कागजों में शमशान घाट पर चमन बरस रहा है, लेकिन हकीकत में यहां हाड़ से निकलने वाली हवा भी अंतिम संस्कार में लगायी जाने वाली लकडिय़ों में अग्नि प्रवाहित करने में बेअसर साबित हो रही है।
दरअसल, मुख्यालय पर सबसे नजदीकी शमशान घाट इलाइट चौराहा के पास स्थित है। इसके अलावा सुरई घाट, चण्डी मंदिर के पीछे इत्यादि शमशान घाट बने हुये हैं। इन शमशानों में प्रतिदिन किसी न किसी व्यक्ति के शरीर को अंतिम संस्कार की क्रिया से गुजरना पड़ता है। लेकिन शमशान घाटों पर अव्यवस्थाओं का इतना बड़ा अम्बार लगा हुआ है कि अब लोग यहां जाने से भी कतराते नजर आते हैं। बात है, बीते दो-तीन दिनों की। जब शहर के कुछ प्रतिष्ठित परिवारों में सदस्य के देहावसान होने का पहाड़ टूट पड़ा। देहावसान होने के उपरान्त पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करने के लिए शहर के कई नामचीन लोग इलाइट चौराहा के पास स्थित मुक्ति धाम पहुंचे, लेकिन मध्यम बारिश होने के चलते यहां अंतिम संस्कार के लिए लायी गयी लकडिय़ां व उपले (कण्डे) इत्यादि भीगने लगे। वहीं किसी प्रकार पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन करने की तैयारी हुयी, तभी बारिश भी हल्की तेज हो गयी। इसी बीच लोग मुख्य स्थल से दूर जाकर खुद को बारिश से बचाने के लिए यहां-वहां जाते नजर आये। शमशान घाट के ऊपर लगा टीनशैड पूरी तरह से टूट चुका है, जिससे अंतिम संस्कार की शैय्या पर भी बारिश का पानी आने लगा। वहीं अन्य अंतिम संस्कार शैय्या पर बारिश का पानी तेजी से बहता दिखा। किसी प्रकार पार्थिव शरीर को शैय्या पर रखकर उसे पंचतत्व में विलीन करने के लिए मुखाग्नि देने का प्रयास किया जाने लगा। यहां लोगों ने स्थानीय प्रशासन व नगर पालिका परिषद में बैठे जिम्मेवार अधिकारियों को कोसते हुये सोशल मीडिया के जरिए लाइव दिखाया। ऐसे सजीव चित्रण को देखकर लोगों ने खूब नाराजगी जाहिर की।
प्रत्येक मौसम में बदहाल व्यवस्थाएं रहती हैं हावी
ऐसा नहीं है कि टीनशैड टूट जाने से अव्यवस्थाएं हावी हैं। प्रत्येक मौसम में अव्यवस्थाएं हावी होती हैं, यहां न तो बैठने के समुचित स्थान होते हैं और न ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त रहती है। इतना ही नहीं किसी भी शमशान घाट पर विद्युत की भी समुचित व्यवस्था नहीं है, जिस कारण लोगों को परेशानियां उठानी पड़ती हैं। बात करें यदि सुरक्षा व्यवस्था की तो यहां एक दीवाल पर चौकीदार का नाम व नम्बर अंकित होता है, जो कभी उपयोग होता भी है और कभी नहीं होता।
शमशान घाटों को गोद लेकर स्वच्छ व सुंदर बनाने का प्रयास
मुक्ति संस्था के अध्यक्ष अज्जू बाबा ने अपने तमाम साथियों के साथ उत्तर प्रदेश शासन और जिला प्रशासन से आह्वान किया है कि शमशान घाटों को गोद लेकर इसका जीर्णोंद्धार कराते हुये स्वच्छ व सुन्दर बनाने की दिशा में काम किया जाये तो स्थिति बेहतर हो सकती है।
जनप्रतिनिधियों की मौन कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में
ऐसा नहीं है कि जनप्रतिनिधियों का आना शमशान घाटों पर न होता हो, लेकिन यहां हावी अव्यवस्था के खिलाफ आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने जहमत तक नहीं उठायी। जनप्रतिनिधियों से शहरवासियों ने इस ओर ध्यान देते हुये शमशानघाटों पर व्यवस्थायें दुरुस्त कराये जाने की गुहार लगायी है।