बाराबंकी। दीन को सबसे ज़्यादा नुकसान उस जाहिल से होता है जो ये नहीं जानता की वो जाहिल है। फ़र्शे अज़ा से बनामे हुसैन जो ज़िक्र करता है उसकी रूह पाकीज़ा होती है, ईमान और तक़वे में भी इज़ाफ़ा होता है। बे मारेफत जीने से मर जाना बेहतर है। यह बात कर्बला सिविल लाइन में सलीम काज़मी द्वारा आयोजित मजलिस बराये ईसाले सवाब आलिया बेगम अहलिया मुस्तफा हुसैन को सम्बोधित करते हुए मौलाना अली मेंहदी साहब ने कही। उन्होंने यह भी कहा किअल्लाह से राबेता चाहिये तो दरे अहलेबैत पर आना होगा।
सबसे अच्छे एखलाक वाला शबीहे रसूल होता है। आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस से पहले डा. रज़ा मौरनवी, अजमल किंतूरी, डा.मुहिब रिज़वी, हाजी सरवर अली कर्बलाई, अयान काज़मी, रज़ा मेंहदी के आलावा अली व बाकर सल्लमहू ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश किये। आगाज़ तिलावते कलामे इलाही से मौलाना हिलाल अब्बास साहब ने किया। अली, बाकर और शाने हैदर ने नौहा ख्वानी की सीनाजनी के बाद कार्यक्रम समाप्त हुआ। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।