ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित कृति “आन” उपन्यास का हुआ विमोचन

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अवधनामा संवाददाता

पूज्य बापूजी चिन्मयानन्द बापू ने किया विमोचन

ललितपुर। मूर्धन्य साहित्यकार, पत्रकार कीर्तिशेष पं.शुकदेव तिवारी द्वारा रचित एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित कृति “आन” उपन्यास का गुरूवार को सिद्धपीठ श्रीतुवन मंदिर के विशाल प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा के दौरान राष्ट्रसंत परम पूज्य चिन्मयानन्द बापूजी ने विमोचन किया। इस अनुपम कृति के विमोचन पर बापूजी ने अपना आशीष स्नेह देते हुये इस पुस्तक को समाज और राष्ट्र के प्रति धरोहर बताते हुये इसमें वर्णित साहित्य को उत्कृष्ट कृति बताया।
“आन” साहित्य में दर्शाया गया है कि कैसे अठारहवीं सदी के शासक प्रतिपाल और मोद प्रहलाद दो बुन्देला राजाओं नके जीवन ने समाज को किस प्रकार झकझोरा है। इस उपन्यास में चन्देरी के अलावा तालबेहट और राजगढ़ दो नगर केन्द्र बिन्दु हैं। इस उपन्यास में पढऩे और गढऩे के लिए कई तथ्य हैं और सीखने और सीख देने जैसे भी कई प्राक्कथन उकेरे गये हैं। इस उपन्यास के विमोचन उपरान्त वक्ताओं ने इसका नजरभर अध्ययन अवश्य किया, जिससे उन्हें इस उपन्यास की जीवटता की अनुभूति हुयी। इस मौके पर शासकीय सेवा से जुड़े संदीप तिवारी व जिले की पत्रकारिता में ऊंचा कद बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार अजय तिवारी नीलू ने बाबूजी पं.शुकदेव तिवारी से जुड़े कई संस्मरणों को भी जीवन्त करते हुये किस्से साझा किये। इस दौरान प्रेस क्लब अध्यक्ष राजीव बबेले सप्पू ने बताया कि बाबूजी मूर्धन्य साहित्यकार, पत्रकार कीर्तिशेष पं.शुकदेव तिवारीजी का जन्म 30 दिसम्बर 1929 को हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती जमुना देवी व पिताजी का नाम पं.हरदास तिवारी था। मूलत: ग्राम बरौदा बिजलौन के रहने वाले बाबूजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ललितपुर से प्राप्त कर कानपुर के डी.ए.वी.कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। तदोपरान्त शासकीय सेवा प्रारंभिक नौकरी थी इसके बाद उन्होंने समाज को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए पत्रकारिता का राख्ता अपनाया, जिसमें वह सफलता की चोटी तक पहुंचे। इसके अलावा बाबूजी ने निर्वाह जिसे उ.प्र. सरकार द्वारा प्रकाशित एवं पुरुस्कृत किया गया के अलावा आन और कहानियां जैसी रचनाएं भी लिखीं। इसके अलावा सामाजिक कहानियों में जब भगवान बोल उठा, मुक्ति, पक्षघात, समद शैतान से लड़ाई, पंचमशुक्ल, बड़े आये लाट साहब आदि रहीं। ऐतिहासिक एवं राष्ट्रीय कहानियों में परमहंस, अक्षय तृतीय, राजगढ़- जय बंगलादेश, गंगा तेरे नाम अनेक आदि शामिल रहीं। इसके अलावा बुन्देलखण्ड की पत्रकारिता का इतिहास संपादन 1970 से 1974 तक जनप्रिय साप्ताहिक का संपादन किया व 1974 से दैनिक लोकपट और लगभग 20 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े रहे। उपन्यास विमोचन के दौरान मंच पर सदर विधायक रामरतन कुशवाहा, प्रेस क्लब (रजि.) अध्यक्ष राजीव बबेले सप्पू, महामंत्री अंतिम जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय जैन कल्लू, राजीव शुक्ला, अभय श्रीमाली, अबरार अली, बृजेश पंथ, दिनेश संज्ञा, अमित जैन मोनू, अमित सोनी, अजित भारती, अमित लखेरा, बृजेश तिवारी, शिब्बू राठौर, अश्वनी पुरोहित, दिव्यांक शर्मा, सुनील जैन, विनोद मिश्रा, संजू श्रोतीय, देवेन्द्र पाठक, सुनील सैनी, हरीशंकर अहिरवार, वरूण तिवारी, आलोक खरे, पंकज रैकवार के अलावा अनेकों पत्रकार साथी मौजूद रहे। संचालन करते हुये विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के ट्रस्टी मयंक वैद्य ने आभार व्यक्त किया।

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