बहन मायावती की मांग पर जानबूझकर योगी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया
बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष सुरेश कमल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों को मर्ज करने का फैसला पूंजीपतियों और शिक्षा माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए लिया है। सरकार बेसिक शिक्षा को निजी हाथों में सौंप कर गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करना चाहती है।हमारी नेता बहन मायावती जी ने पहले ही इस मुद्दे पर पार्टी के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की थी।
सरकार ने जानबूझकर कोई ध्यान नहीं दिया।इस फैसले को बहन मायावती के अतिरिक्त और कोई नहीं बदल सकता। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की समस्यायों,गरीबी, बेरोज़गारी पर तभी अंकुश लग सकेगा जब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार होगी। शिक्षक समाज के निर्माता हैं। नौनिहालों का भविष्य बचाने और बेसिक शिक्षा विभाग को बचाने के लिए सरकार की चौखट खटखटाने के बजाय शिक्षकों को उत्तर प्रदेश में वैकल्पिक राजनीतिक वातावरण तैयार करने में मदद करनी चाहिए।
सोमवार को पेयरिंग के खिलाफ शिक्षक संगठन मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन देने डी एम कार्यालय आए थे। जानकारी होने पर उन्होंने शिक्षक संगठनों की मांग का समर्थन किया और कहा कि सिर्फ ज्ञापन देने से काम नहीं चल सकता। सरकार ने पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर ऐसा निर्णय लिया है।
बाबा साहब डॉ अम्बेडकर देश में एक समान शिक्षा प्रणाली के पक्षधर थे। बाबा साहब डॉ अम्बेडकर का नाम लेकर वोटों के लिए राजनीति करने वाली अब तक की सभी लोकतांत्रिक सरकारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उत्तर प्रदेश में 2022के बाद शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई।बी एड और बी टी सी प्रशिक्षण प्राप्त लाखों नौजवान बेरोज़गारी का दंश झेल रहे हैं। स्कूलों को मर्ज करने के फैसले से उनके लिए नौकरी का संकट है। अनुदेशकों, शिक्षामित्रों और रसोइयों के लिए अब जीवन निर्वाह का संकट पैदा हो जाएगा।